पलना/palana

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पलना  : अ० [हिं० पालना] १. विशिष्ट परिस्थितियों में रहकर बड़े होना। जैसे—प्रकृति की गोद में पलना। २. खा-पीकर खूब हृष्ट पुष्ट होना। ३. कर्त्तव्य, धर्म आदि के निर्वाह के रूप में पूरा उतरना। पालित होना। उदा०—पर भूलो तुम निज धर्म भले, मुझसे मेरा अधिकार पले।—मैथिलीशरण। स०=देना। (दलाल)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=पालना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलना  : अ० [हिं० पालना] १. विशिष्ट परिस्थितियों में रहकर बड़े होना। जैसे—प्रकृति की गोद में पलना। २. खा-पीकर खूब हृष्ट पुष्ट होना। ३. कर्त्तव्य, धर्म आदि के निर्वाह के रूप में पूरा उतरना। पालित होना। उदा०—पर भूलो तुम निज धर्म भले, मुझसे मेरा अधिकार पले।—मैथिलीशरण। स०=देना। (दलाल)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=पालना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पलनाना  : स० [हिं० पलान=जीन,+ना (प्रत्य०)]= पलानना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलनाना  : स० [हिं० पलान=जीन,+ना (प्रत्य०)]= पलानना।
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