शब्द का अर्थ
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पलेथन :
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पुं० [सं० परिस्तरण=लपेटना] १. वह सूखा आटा जिसे रोटी बेलने के समय पाटे या बेलन पर इसलिए बिखेरते हैं कि गीला आटा हाथ में या बेलन आदि में चिपकने न पावे। परथन। क्रि० प्र०—लगाना। मुहा०—(किसी का) पलेथन निकालना=(क) बहुत अधिक मार-पीटकर अधमरा करना। (ख) बहुत अधिक परेशान करना। २. किसी बड़े व्यय या हानि के बाद तथा उसके फलस्वरूप होनेवाला अतिरिक्त व्यय या हानि के बाद तथा उसके फलस्वरूप होनेवाला अतिरिक्त व्यय। जैसे—तुम्हारे फेर में पचासों रुपयों की हानि तो हुई ही, आने-जाने में पाँच रुपया और पलेथन लग गया। क्रि० प्र०—लगना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पलेथन :
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पुं० [सं० परिस्तरण=लपेटना] १. वह सूखा आटा जिसे रोटी बेलने के समय पाटे या बेलन पर इसलिए बिखेरते हैं कि गीला आटा हाथ में या बेलन आदि में चिपकने न पावे। परथन। क्रि० प्र०—लगाना। मुहा०—(किसी का) पलेथन निकालना=(क) बहुत अधिक मार-पीटकर अधमरा करना। (ख) बहुत अधिक परेशान करना। २. किसी बड़े व्यय या हानि के बाद तथा उसके फलस्वरूप होनेवाला अतिरिक्त व्यय या हानि के बाद तथा उसके फलस्वरूप होनेवाला अतिरिक्त व्यय। जैसे—तुम्हारे फेर में पचासों रुपयों की हानि तो हुई ही, आने-जाने में पाँच रुपया और पलेथन लग गया। क्रि० प्र०—लगना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |