शब्द का अर्थ
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पार्ष्णि :
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स्त्री० [सं० √पृष् (सींचना)+नि, नि० वृद्धि] १. पैर की एड़ी। २. सेना का पिछला भाग। ३. किसी चीज का पिछला भाग। ४. पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। ५. जीतने या विजय प्राप्त करने की इच्छा। जिगीषा। ६. जाँच-पड़ताल। छान-बीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पार्ष्णि :
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स्त्री० [सं० √पृष् (सींचना)+नि, नि० वृद्धि] १. पैर की एड़ी। २. सेना का पिछला भाग। ३. किसी चीज का पिछला भाग। ४. पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। ५. जीतने या विजय प्राप्त करने की इच्छा। जिगीषा। ६. जाँच-पड़ताल। छान-बीन। |
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समानार्थी शब्द-
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पार्ष्णि-क्षेम :
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पुं० [सं०] एक विश्वेदेव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पार्ष्णि-क्षेम :
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पुं० [सं०] एक विश्वेदेव। |
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समानार्थी शब्द-
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पार्ष्णि-ग्रहण :
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पुं० [ष० त०] किसी पर, विशेषतः शत्रु की सेना पर पीछे से किया जानेवाला आक्रमण या आघात। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पार्ष्णि-ग्रहण :
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पुं० [ष० त०] किसी पर, विशेषतः शत्रु की सेना पर पीछे से किया जानेवाला आक्रमण या आघात। |
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समानार्थी शब्द-
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पार्ष्णि-ग्राह :
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पुं० [सं० पर्ष्णि√ग्रह् (ग्रहण)+अण्] १. वह जो किसी के पीठ पर या पीछे रहकर उसकी सहायता करता हो। २. सेना के पिछले भाग का प्रधान अधिकारी या नायक। |
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समानार्थी शब्द-
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पार्ष्णि-ग्राह :
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पुं० [सं० पर्ष्णि√ग्रह् (ग्रहण)+अण्] १. वह जो किसी के पीठ पर या पीछे रहकर उसकी सहायता करता हो। २. सेना के पिछले भाग का प्रधान अधिकारी या नायक। |
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पार्ष्णि-घात :
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पुं० [तृ० त०] पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। |
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समानार्थी शब्द-
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पार्ष्णि-घात :
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पुं० [तृ० त०] पैर से किया जानेवाला आघात। ठोकर। |
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समानार्थी शब्द-
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