शब्द का अर्थ
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पिंज :
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वि० [सं०√पिंज्+घञ्+अच्] विकल। व्याकुल। पुं० [√पिंज्+घञ्] १. बल। शक्ति। २. वध। हत्या। ३. एक प्रकार का कपूर। ४. चन्द्रमा। ५. समूह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंज :
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वि० [सं०√पिंज्+घञ्+अच्] विकल। व्याकुल। पुं० [√पिंज्+घञ्] १. बल। शक्ति। २. वध। हत्या। ३. एक प्रकार का कपूर। ४. चन्द्रमा। ५. समूह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजक :
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पुं० [सं० √पिञच्+ण्वुल्—अक] धुनिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजक :
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पुं० [सं० √पिञच्+ण्वुल्—अक] धुनिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजट :
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पुं० [सं०√पिञ्ज्+अटन्] आँख में से निकलनेवाला एक तरह का गाढ़ा सफेद मल या कीचड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजट :
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पुं० [सं०√पिञ्ज्+अटन्] आँख में से निकलनेवाला एक तरह का गाढ़ा सफेद मल या कीचड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजड़ा :
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पुं०=पिंजरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजड़ा :
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पुं०=पिंजरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजन :
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पुं० [सं०√पिञ्ज्+ल्युट्—अन] १. रुई धुनने की धुनकी। २. रूई धुनने की क्रिया, ढंग या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजन :
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पुं० [सं०√पिञ्ज्+ल्युट्—अन] १. रुई धुनने की धुनकी। २. रूई धुनने की क्रिया, ढंग या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजना :
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स० [सं० पिंजन] धुनकी से रूई धुनना। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजना :
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स० [सं० पिंजन] धुनकी से रूई धुनना। |
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पिंजर :
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वि० [सं०√पिञ्ज्+रच्] १. ललाई लिये हुए पीले रंग का। २. पीला। ३. सुनहला। पुं० १. पिंजरा। २. हड्डियों की ठठरी। पंजर। ३. हरताल। ४. सोना। ५. नागकेसर। ६. लाल रंग का वह फोड़ा जिसमें कुछ भूरापन भी हो। |
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पिंजर :
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वि० [सं०√पिञ्ज्+रच्] १. ललाई लिये हुए पीले रंग का। २. पीला। ३. सुनहला। पुं० १. पिंजरा। २. हड्डियों की ठठरी। पंजर। ३. हरताल। ४. सोना। ५. नागकेसर। ६. लाल रंग का वह फोड़ा जिसमें कुछ भूरापन भी हो। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजरक :
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पुं० [सं० पिञ्जर+कन्] हरताल। |
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समानार्थी शब्द-
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पुं० [सं० पिञ्जर+कन्] हरताल। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजरा :
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पुं० [सं० पंजर] १. धातु, बाँस आदि की तीलियों का बना हुआ बक्स की तरह का वह आधान जिसमें पक्षी, पशु आदि बंद करके रखे जाते हैं। २. लाक्षणिक अर्थ में, ऐसा स्थान जहाँ से किसी का बाहर निकलना प्रायः असंभव या दुष्कर हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पिंजरा :
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पुं० [सं० पंजर] १. धातु, बाँस आदि की तीलियों का बना हुआ बक्स की तरह का वह आधान जिसमें पक्षी, पशु आदि बंद करके रखे जाते हैं। २. लाक्षणिक अर्थ में, ऐसा स्थान जहाँ से किसी का बाहर निकलना प्रायः असंभव या दुष्कर हो। |
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पिंजरापोल :
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पुं० [हिं० पिंजरा+पोल=फाटक] १. पशुशाला। २. गोशाला। |
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पिंजरापोल :
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पुं० [हिं० पिंजरा+पोल=फाटक] १. पशुशाला। २. गोशाला। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजरिक :
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पुं० [सं०] पुरानी चाल का एक तरह का बाजा। |
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पुं० [सं०] पुरानी चाल का एक तरह का बाजा। |
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पिंजरित :
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भू० कृ० [सं० पिंजर+इतच्] पीले रंग का या पीले रंग में रंगा हुआ। |
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पिंजरित :
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भू० कृ० [सं० पिंजर+इतच्] पीले रंग का या पीले रंग में रंगा हुआ। |
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पिंजल :
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वि० [सं० √पिञ्ज्+कलच्] १. दुःख, भय संकट आदि के कारण जिसका वर्ण पीला पड़ गया हो। २. दुःखी। ३. व्याकुल। ४. बहुत अधिक आतंकित। पुं० १. कुशा। २. हरताल। ३. जाल-बेंत। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजल :
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वि० [सं० √पिञ्ज्+कलच्] १. दुःख, भय संकट आदि के कारण जिसका वर्ण पीला पड़ गया हो। २. दुःखी। ३. व्याकुल। ४. बहुत अधिक आतंकित। पुं० १. कुशा। २. हरताल। ३. जाल-बेंत। |
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पिंजली :
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स्त्री० [सं० पिंजल+ङीष्] एक में बँधी हुई कुश धास की दो नुकीली पत्तियाँ जिनका उपयोग यज्ञ में होता था। |
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पिंजली :
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स्त्री० [सं० पिंजल+ङीष्] एक में बँधी हुई कुश धास की दो नुकीली पत्तियाँ जिनका उपयोग यज्ञ में होता था। |
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पिंजा :
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स्त्री० [सं० पिंज+टाप्] १. हलदी। २. रूई। पुं०=पिंजरा (धुनिया)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पिंजा :
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स्त्री० [सं० पिंज+टाप्] १. हलदी। २. रूई। पुं०=पिंजरा (धुनिया)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पिंजारा :
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पुं० [सं पिंजन] रूई धुननेवाला कारीगर। धुनिया। |
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पिंजारा :
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पुं० [सं पिंजन] रूई धुननेवाला कारीगर। धुनिया। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजारी :
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स्त्री० [देश०] त्रायमाणा नाम की लता। गुरबियानी। |
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पिंजारी :
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स्त्री० [देश०] त्रायमाणा नाम की लता। गुरबियानी। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजाल :
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पुं० [सं०√पिंञ्ज्+आलच्] सोना। स्वर्ण। |
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पिंजाल :
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पुं० [सं०√पिंञ्ज्+आलच्] सोना। स्वर्ण। |
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समानार्थी शब्द-
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पिंजिका :
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स्त्री० [सं०√पिञ्ज्+ण्वुल्—अक+टाप्, इत्व] धुनी हुई रूई की पूनी जो सूत कातने के काम आती है। |
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पिंजिका :
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स्त्री० [सं०√पिञ्ज्+ण्वुल्—अक+टाप्, इत्व] धुनी हुई रूई की पूनी जो सूत कातने के काम आती है। |
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पिंजियारा :
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पुं० [सं० पिंजिका=रूई की बत्ती] १. रूई ओटनेवाला। २. रूई धुननेवाला। धुनिया। |
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पिंजियारा :
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पुं० [सं० पिंजिका=रूई की बत्ती] १. रूई ओटनेवाला। २. रूई धुननेवाला। धुनिया। |
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पिंजूष :
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पुं० [सं०√पिञ्ज्+ऊषन्] कान की मैल। खूँट। |
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पिंजूष :
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पुं० [सं०√पिञ्ज्+ऊषन्] कान की मैल। खूँट। |
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