पिछ/pichh

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पिछ  : पुं० [हिं० पीछा] ‘पीछा’ का वह लघु रूप जो यौगिक पदों के आरंभ में लगता है। जैसे—पिछलगा, पिछलग्गू, पिछवाड़ा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिछ  : पुं० [हिं० पीछा] ‘पीछा’ का वह लघु रूप जो यौगिक पदों के आरंभ में लगता है। जैसे—पिछलगा, पिछलग्गू, पिछवाड़ा।
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पिछ-लगा  : वि० [हिं० पीछे+लगना] [भाव० स्त्री० पिछलगी] १. दीन भाव से किसी के पीछे-पीछे लगा रहनेवाला। २. शक्ति, सामर्थ्य आदि के अभाव में, स्वतंत्र न रह सकने के कारण किसी का अनुगमन या अनुसरण करनेवाला। ३. आश्रित। पुं० सेवक। दास।
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पिछ-लगा  : वि० [हिं० पीछे+लगना] [भाव० स्त्री० पिछलगी] १. दीन भाव से किसी के पीछे-पीछे लगा रहनेवाला। २. शक्ति, सामर्थ्य आदि के अभाव में, स्वतंत्र न रह सकने के कारण किसी का अनुगमन या अनुसरण करनेवाला। ३. आश्रित। पुं० सेवक। दास।
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पिछ-लगू (ग्गू)  : वि०, पुं०=पिछ-लगा।
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पिछ-लगू (ग्गू)  : वि०, पुं०=पिछ-लगा।
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पिछ-लत्ती  : स्त्री० [हिं० पिछ+लात] १. पशुओं का पिछले पैरों से आघात करने की क्रिया या भाव। २. उक्त प्रकार से होनेवाला आघात।
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पिछ-लत्ती  : स्त्री० [हिं० पिछ+लात] १. पशुओं का पिछले पैरों से आघात करने की क्रिया या भाव। २. उक्त प्रकार से होनेवाला आघात।
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पिछड़ना  : अ० [हिं० पीछे] १. गति, दौड़, प्रतियोगिता आदि में दूसरों के आगे निकल या बढ़ जाने के कारण अथवा और किसी कारण से पीछे रह जाना। २. वर्ग, श्रेणी आदि में आगे न बढ़ सकने या उन्नति न कर सकने के कारण पीछे रह जाना। संयो० क्रि०—जाना।
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पिछड़ना  : अ० [हिं० पीछे] १. गति, दौड़, प्रतियोगिता आदि में दूसरों के आगे निकल या बढ़ जाने के कारण अथवा और किसी कारण से पीछे रह जाना। २. वर्ग, श्रेणी आदि में आगे न बढ़ सकने या उन्नति न कर सकने के कारण पीछे रह जाना। संयो० क्रि०—जाना।
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पिछलगी  : स्त्री० [हिं० पिछलगा] पिछलगा होने की अवस्था या भाव। २. अनुगमन। अनुवर्तन। अनुसरण।
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पिछलगी  : स्त्री० [हिं० पिछलगा] पिछलगा होने की अवस्था या भाव। २. अनुगमन। अनुवर्तन। अनुसरण।
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पिछलना  : अ० [हिं० पीछा] पीछे की ओर हटना या मुड़ना। (क्व०) अ०=फिसलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिछलना  : अ० [हिं० पीछा] पीछे की ओर हटना या मुड़ना। (क्व०) अ०=फिसलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछलपाई  : स्त्री०=पिच्छलपाई।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिछलपाई  : स्त्री०=पिच्छलपाई।
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पिछला  : वि० [हिं० पीछा] [स्त्री० पिछली] १. जो किसी वस्तु के पीछे अर्थात् पीठ की ओर पड़ता हो। पीछे की ओर को। ‘अगला’ का विपर्याय। जैसे—(क) इस मकान का पिछला हिस्सा गिर गया है। (ख) इस घोड़े की पिछली टाँगें टेढ़ी हैं। २. काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से किसी के पीछे अर्थात् पूर्व में या पहले पड़ने या होनेवाला। जैसे—(क) इधर का हिसाब तो साफ हो गया है, पर पिछला हिसाब बाकी है। (ख) जब मैं पिछली बार आप के यहाँ आया था...। (ग) पिछला साल रोजगारियों के लिए अच्छा नहीं था। ३. पूर्वकाल में होने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। जैसे—पिछला जमाना, पिछले लोग। ४. जो क्रम के विचार से किसी के पीछे या बाद में पड़ता हो। जैसे—इस पुस्तक के कई पिछले पृष्ठ फट गये हैं। पद—पिछला पहर=दो पहर अथवा आधी रात के बाद का अर्थात् संध्या या प्रभात से पहले का पहर या समय। दिन अथवा रात के उत्तर काल। पिछली रात=रात में आधी रात के बाद का और प्रभात या उसके कुछ पहले का समय। ५. गुजरा या बीता हुआ। गत। जैसे—पिछली बातों को भूल जाना ही अच्छा है। पद—पिछला दिन=वह दिन जो वर्तमान से एक दिन पहले बीता हो। पिछली रात=आज से एक दिन पहले बीती हुई रात। कल की रात। गत रात्रि। पिछले दिन=बीते हुए दिन। भूतकाल। पुं० वह भोजन जो रोजे के दिनों में मुसलमान लोग कुछ रात रहते खाते हैं। सहरी।
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पिछला  : वि० [हिं० पीछा] [स्त्री० पिछली] १. जो किसी वस्तु के पीछे अर्थात् पीठ की ओर पड़ता हो। पीछे की ओर को। ‘अगला’ का विपर्याय। जैसे—(क) इस मकान का पिछला हिस्सा गिर गया है। (ख) इस घोड़े की पिछली टाँगें टेढ़ी हैं। २. काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से किसी के पीछे अर्थात् पूर्व में या पहले पड़ने या होनेवाला। जैसे—(क) इधर का हिसाब तो साफ हो गया है, पर पिछला हिसाब बाकी है। (ख) जब मैं पिछली बार आप के यहाँ आया था...। (ग) पिछला साल रोजगारियों के लिए अच्छा नहीं था। ३. पूर्वकाल में होने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। जैसे—पिछला जमाना, पिछले लोग। ४. जो क्रम के विचार से किसी के पीछे या बाद में पड़ता हो। जैसे—इस पुस्तक के कई पिछले पृष्ठ फट गये हैं। पद—पिछला पहर=दो पहर अथवा आधी रात के बाद का अर्थात् संध्या या प्रभात से पहले का पहर या समय। दिन अथवा रात के उत्तर काल। पिछली रात=रात में आधी रात के बाद का और प्रभात या उसके कुछ पहले का समय। ५. गुजरा या बीता हुआ। गत। जैसे—पिछली बातों को भूल जाना ही अच्छा है। पद—पिछला दिन=वह दिन जो वर्तमान से एक दिन पहले बीता हो। पिछली रात=आज से एक दिन पहले बीती हुई रात। कल की रात। गत रात्रि। पिछले दिन=बीते हुए दिन। भूतकाल। पुं० वह भोजन जो रोजे के दिनों में मुसलमान लोग कुछ रात रहते खाते हैं। सहरी।
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पिछवई (वाई)  : स्त्री० [हिं० पीछे] मूर्तियों या उनके सिंहासनों के पीछ लटकाया जानेवाला बेल-बूटेदार परदा।
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पिछवई (वाई)  : स्त्री० [हिं० पीछे] मूर्तियों या उनके सिंहासनों के पीछ लटकाया जानेवाला बेल-बूटेदार परदा।
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पिछवाड़ा  : पुं० [हिं० पीछा+बाड़ा] १. किसी वस्तु विशेषतः घर आदि के पीछेवाला भाग। घर का पृष्ठ भाग। २. घर के पीछे वाले भाग के पास की जमीन या मकान।
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पिछवाड़ा  : पुं० [हिं० पीछा+बाड़ा] १. किसी वस्तु विशेषतः घर आदि के पीछेवाला भाग। घर का पृष्ठ भाग। २. घर के पीछे वाले भाग के पास की जमीन या मकान।
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पिछवारा  : पुं०=पिछवाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछवारा  : पुं०=पिछवाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछाड़  : वि० [हिं० पीछा] पीछे या बाद में रहने या होनेवाला। पुं० [हिं० पिछड़ना] पिछड़ने की क्रिया या भाव। पुं०=पिछाड़ी।
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पिछाड़  : वि० [हिं० पीछा] पीछे या बाद में रहने या होनेवाला। पुं० [हिं० पिछड़ना] पिछड़ने की क्रिया या भाव। पुं०=पिछाड़ी।
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पिछाड़ी  : स्त्री० [हिं० पीछा] १. किसी काम, चीज या बात का पिछला भाग या पीछे का हिस्सा। पृष्ठ भाग। २. घोड़े के पिछले दोनों पैर बाँधने की रस्सी। क्रि० प्र०—बाँधना।—लगाना। पद—अगाड़ी-पिछाड़ी (दे०)।
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पिछाड़ी  : स्त्री० [हिं० पीछा] १. किसी काम, चीज या बात का पिछला भाग या पीछे का हिस्सा। पृष्ठ भाग। २. घोड़े के पिछले दोनों पैर बाँधने की रस्सी। क्रि० प्र०—बाँधना।—लगाना। पद—अगाड़ी-पिछाड़ी (दे०)।
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पिछान  : स्त्री०=पहचान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) उदा०—मैं पिय लियो पिछान।—पद्माकर।
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पिछान  : स्त्री०=पहचान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) उदा०—मैं पिय लियो पिछान।—पद्माकर।
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पिछानना  : स०=पहचानना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछानना  : स०=पहचानना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछानी  : पुं० [हिं० पहचान] १. पहचाननेवाला। उदा०—ऐसा बेद मिलै कोई भेदी देस-बिदेस पिछानी।—मीराँ। २. जान-पहचानवाला। परिचित। स्त्री०=पहचान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछानी  : पुं० [हिं० पहचान] १. पहचाननेवाला। उदा०—ऐसा बेद मिलै कोई भेदी देस-बिदेस पिछानी।—मीराँ। २. जान-पहचानवाला। परिचित। स्त्री०=पहचान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछारी  : स्त्री=पिछाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछारी  : स्त्री=पिछाड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछुआर  : पुं०=पिछवाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछुआर  : पुं०=पिछवाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछेलना  : स० [हिं० पीछे] १. गति, दौड़, प्रतियोगिता आदि में किसी से आगे निकलना और उसे पीछे छोड़ देना। २. धक्का देकर पीछे हटाना।
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पिछेलना  : स० [हिं० पीछे] १. गति, दौड़, प्रतियोगिता आदि में किसी से आगे निकलना और उसे पीछे छोड़ देना। २. धक्का देकर पीछे हटाना।
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पिछोकड़  : पुं० [हिं० पीछा] पिछवाड़ा। (राज०) उदा०—म्हारे आँगण आम, पिछोकड़ मखो। (राज०)
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पिछोकड़  : पुं० [हिं० पीछा] पिछवाड़ा। (राज०) उदा०—म्हारे आँगण आम, पिछोकड़ मखो। (राज०)
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पिछौड़  : वि० [हिं० पीछे+औड़ (प्रत्य०)] जिसने अपना मुँह पीछे कर लिया हो। किसी के मुँह की ओर जिसकी पीठ पड़ती हो। अव्य० पीछे की ओर।
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पिछौड़  : वि० [हिं० पीछे+औड़ (प्रत्य०)] जिसने अपना मुँह पीछे कर लिया हो। किसी के मुँह की ओर जिसकी पीठ पड़ती हो। अव्य० पीछे की ओर।
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पिछौड़ा  : अव्य० [हिं० पीछा+औड़ा (प्रत्य०)] पीछे की ओर। पुं०=पिछवाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछौड़ा  : अव्य० [हिं० पीछा+औड़ा (प्रत्य०)] पीछे की ओर। पुं०=पिछवाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछौंता  : अव्य० [हिं० पीछा+औता] १. पीछे की ओर। २. पीछे से। बाद में। (पूरब) वि०=पिछला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछौंता  : अव्य० [हिं० पीछा+औता] १. पीछे की ओर। २. पीछे से। बाद में। (पूरब) वि०=पिछला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिछौरा  : पुं० [सं० पक्ष या पश्च+पटः प्रा० पच्छवड़; हिं० पछेवड़ा] [स्त्री० अल्पा० पिछौरी] पुरुषों के ओढ़ने की चादर। मरदाना दुपट्टा।
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पिछौरा  : पुं० [सं० पक्ष या पश्च+पटः प्रा० पच्छवड़; हिं० पछेवड़ा] [स्त्री० अल्पा० पिछौरी] पुरुषों के ओढ़ने की चादर। मरदाना दुपट्टा।
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पिछौरी  : स्त्री० [हिं० पिछौरा] १. ओढ़ने की छोटी चादर। २. स्त्रियों की ओढ़नी या चादर।
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पिछौरी  : स्त्री० [हिं० पिछौरा] १. ओढ़ने की छोटी चादर। २. स्त्रियों की ओढ़नी या चादर।
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पिछौंहा  : वि० [सं० पश्चिम] [स्त्री० पिछौंही] पश्चिम दिशा में रहने या होनेवाला।
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पिछौंहा  : वि० [सं० पश्चिम] [स्त्री० पिछौंही] पश्चिम दिशा में रहने या होनेवाला।
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पिछौंही  : स्त्री०=पिछौरी।
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पिछौंही  : स्त्री०=पिछौरी।
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पिछौंहे  : अव्य० [हिं० पीछा] १. पीछे की ओर। २. पीछे की ओर से। वि० १. पीछे होनेवाला। २. (फसल, फल आदि) जो अपनी ऋतु या समय बीत जाने पर हो।
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पिछौंहे  : अव्य० [हिं० पीछा] १. पीछे की ओर। २. पीछे की ओर से। वि० १. पीछे होनेवाला। २. (फसल, फल आदि) जो अपनी ऋतु या समय बीत जाने पर हो।
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