शब्द का अर्थ
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पीक :
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स्त्री० [सं० पिच्च] १. चबाये हुए पान का वह रस जो थूका जाता है। पान की थूक। २. वह रंग जो कपड़े को पहली बार रंग में डुबाने से चढ़ता है। (रंगरेज)। वि० [?] ऊँचा-नीचा। ऊबड़-खाबड़। (लश०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीक :
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स्त्री० [सं० पिच्च] १. चबाये हुए पान का वह रस जो थूका जाता है। पान की थूक। २. वह रंग जो कपड़े को पहली बार रंग में डुबाने से चढ़ता है। (रंगरेज)। वि० [?] ऊँचा-नीचा। ऊबड़-खाबड़। (लश०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीकदान :
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पुं० [हिं० पीक+फा० दान=पात्र] वह पात्र जिसमें पीक थूकी जाती है। उगालदान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीकदान :
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पुं० [हिं० पीक+फा० दान=पात्र] वह पात्र जिसमें पीक थूकी जाती है। उगालदान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीकना :
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अ० [पी-पी से अनु०] पीपी शब्द करना। जैसे—पपीहे का पीकना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीकना :
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अ० [पी-पी से अनु०] पीपी शब्द करना। जैसे—पपीहे का पीकना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीका :
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पुं० [?] वृक्ष का नया कोमल पत्ता। कल्ला। कोंपल। क्रि० प्र०—पनपना।—फूटना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीका :
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पुं० [?] वृक्ष का नया कोमल पत्ता। कल्ला। कोंपल। क्रि० प्र०—पनपना।—फूटना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |