शब्द का अर्थ
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पीछ :
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स्त्री० [हिं० पीछे या पिछला] पक्षी की दुम। पूँछ। स्त्री०=पीच (माँड़)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीछ :
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स्त्री० [हिं० पीछे या पिछला] पक्षी की दुम। पूँछ। स्त्री०=पीच (माँड़)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीछा :
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पुं० [सं० पश्चात्, फा० पच्छा] १. किसी व्यक्ति के शरीर का वह भाग जो उसकी छाती, पेट, मुँह आदि की विपरीत दिशा में पड़ता है। पीठ की ओर का भाग। पृष्ठ भाग। ‘आगा’ का विपर्याय। २. किसी चीज के पीछे की ओर का विस्तार। मुहा०—(किसी का) पीछा करना=(क) किसी को पकड़ने भागने, मारने-पीटने आदि के लिए अथवा उसका पता लगाने या भेद लेने के लिए उसके पीछे-पीछे तेजी से चलना या दौड़ना। जैसे—अपराधी, चोर या शिकार का पीछा करना। (ख) किसी का भेद या रहस्य जानने के लिए छिपकर उसके पीछे-पीछे चलना। जैसे—वह जहाँ जाता था, वहीं पुलिस उसका पीछा करती थी। (ग) दे० नीचे ‘पीछा पकड़ना’। (किसी काम या बात से) पीछा छुड़ाना=अपने साथ होनेवाली किसी अनिष्ट या अप्रिय बात से अपना सम्बन्ध छुड़ाना। पिंड छुड़ाना। जैसे—अफीम या शराब की लत से पीछा छुड़ाना। (किसी व्यक्ति से) पीछा छुड़ाना=जो व्यक्ति किसी काम या बात के लिए पीछे पड़कर बहुत तंग कर रहा हो, उससे किसी प्रकार छुटकारा पाना। पीछा छूटना=(क) पीछा करनेवाले या पीछे पड़े हुए व्यक्ति से छुटकारा मिलना। पिंड छूटना। जान छूटना। (ख) अनिष्ट अथवा अप्रिय काम या बात से छुटकरा मिलना। (ग) किसी प्रकार का या किसी रूप में छुटकारा मिलना। बचाव या रक्षा होना। जैसे—महीनों बाद बुखार से पीछे छूटा है। (किसी व्यक्ति का) पीछा छूटना=किसी का पीछा करने का काम बंद करना। किसी आशा या प्रयोजन से किसी के साथ लगे फिरने या उसके पीछे-पीछे दौड़ने या उसे तंग करने का काम बंद करना। (किसी काम या बात का) पीछा छोड़ना=जिस काम या बात में बहुत अधिक उत्साह या तनमयता से लगे रहे हों, उससे विरत होना अथवा उसका आसंग या ध्यान छोड़ना। पीछा दिखाना=(क) सम्मुख या साथ न रहकर अलग या दूर हो जाना। पीठ दिखाना। जैसे—संकट के समय संगी-साथियों ने भी पीछा दिखाया। (ख) प्रतियोगिता, लड़ाई-झगड़े आदि में डर या हारकर भाग जाना। पीठ दिखाना। पीछा देना=दे० ऊपर ‘पीछा दिखाना’। (किसी का) पीछा पकडना=किसी आशा से या अपने कोई उद्देश्य सिद्ध करने के लिए किसी का अनुचर या साथी बनना। किसी के आश्रय या सहायता का आकांक्षी बनकर प्रायः उसके साथ लगे रहना। जैसे—किसी रईस का पीछा पकड़ना। (किसी काम या बात का) पीछा भारी होना=(क) पीछे की ओर से शत्रु या संकट की आशंका या भय होना। (ख) अधिक उपयोगी या सहायक अंश का पीछे की ओर आधिक्य होना। (ग) किसी काम के अंतिम या शेष अंश का अधिक कठिन या अधिक कष्टसाध्य होना। पिछला अंश ऐसा होना कि सँभलना कठिन हो। ३. पीछे-पीछे चलकर किसी के साथ लगे रहने की क्रिया या भाव। जैसे—बडे का पीछा है, कुछ न कुछ दे ही जायगा। उदा०—प्रभु मैं पीछौ लियो तुम्हारौ।—सूर। ४. पहनने के वस्त्रों आदि का वह भाग जो पीछे अथवा पीठ की ओर रहता है। जैसे—इस कोट का पीछा ठीक नहीं सिला है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीछा :
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पुं० [सं० पश्चात्, फा० पच्छा] १. किसी व्यक्ति के शरीर का वह भाग जो उसकी छाती, पेट, मुँह आदि की विपरीत दिशा में पड़ता है। पीठ की ओर का भाग। पृष्ठ भाग। ‘आगा’ का विपर्याय। २. किसी चीज के पीछे की ओर का विस्तार। मुहा०—(किसी का) पीछा करना=(क) किसी को पकड़ने भागने, मारने-पीटने आदि के लिए अथवा उसका पता लगाने या भेद लेने के लिए उसके पीछे-पीछे तेजी से चलना या दौड़ना। जैसे—अपराधी, चोर या शिकार का पीछा करना। (ख) किसी का भेद या रहस्य जानने के लिए छिपकर उसके पीछे-पीछे चलना। जैसे—वह जहाँ जाता था, वहीं पुलिस उसका पीछा करती थी। (ग) दे० नीचे ‘पीछा पकड़ना’। (किसी काम या बात से) पीछा छुड़ाना=अपने साथ होनेवाली किसी अनिष्ट या अप्रिय बात से अपना सम्बन्ध छुड़ाना। पिंड छुड़ाना। जैसे—अफीम या शराब की लत से पीछा छुड़ाना। (किसी व्यक्ति से) पीछा छुड़ाना=जो व्यक्ति किसी काम या बात के लिए पीछे पड़कर बहुत तंग कर रहा हो, उससे किसी प्रकार छुटकारा पाना। पीछा छूटना=(क) पीछा करनेवाले या पीछे पड़े हुए व्यक्ति से छुटकारा मिलना। पिंड छूटना। जान छूटना। (ख) अनिष्ट अथवा अप्रिय काम या बात से छुटकरा मिलना। (ग) किसी प्रकार का या किसी रूप में छुटकारा मिलना। बचाव या रक्षा होना। जैसे—महीनों बाद बुखार से पीछे छूटा है। (किसी व्यक्ति का) पीछा छूटना=किसी का पीछा करने का काम बंद करना। किसी आशा या प्रयोजन से किसी के साथ लगे फिरने या उसके पीछे-पीछे दौड़ने या उसे तंग करने का काम बंद करना। (किसी काम या बात का) पीछा छोड़ना=जिस काम या बात में बहुत अधिक उत्साह या तनमयता से लगे रहे हों, उससे विरत होना अथवा उसका आसंग या ध्यान छोड़ना। पीछा दिखाना=(क) सम्मुख या साथ न रहकर अलग या दूर हो जाना। पीठ दिखाना। जैसे—संकट के समय संगी-साथियों ने भी पीछा दिखाया। (ख) प्रतियोगिता, लड़ाई-झगड़े आदि में डर या हारकर भाग जाना। पीठ दिखाना। पीछा देना=दे० ऊपर ‘पीछा दिखाना’। (किसी का) पीछा पकडना=किसी आशा से या अपने कोई उद्देश्य सिद्ध करने के लिए किसी का अनुचर या साथी बनना। किसी के आश्रय या सहायता का आकांक्षी बनकर प्रायः उसके साथ लगे रहना। जैसे—किसी रईस का पीछा पकड़ना। (किसी काम या बात का) पीछा भारी होना=(क) पीछे की ओर से शत्रु या संकट की आशंका या भय होना। (ख) अधिक उपयोगी या सहायक अंश का पीछे की ओर आधिक्य होना। (ग) किसी काम के अंतिम या शेष अंश का अधिक कठिन या अधिक कष्टसाध्य होना। पिछला अंश ऐसा होना कि सँभलना कठिन हो। ३. पीछे-पीछे चलकर किसी के साथ लगे रहने की क्रिया या भाव। जैसे—बडे का पीछा है, कुछ न कुछ दे ही जायगा। उदा०—प्रभु मैं पीछौ लियो तुम्हारौ।—सूर। ४. पहनने के वस्त्रों आदि का वह भाग जो पीछे अथवा पीठ की ओर रहता है। जैसे—इस कोट का पीछा ठीक नहीं सिला है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीछू :
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अव्य०=पीछे।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीछू :
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अव्य०=पीछे।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीछे :
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अव्य० [हिं० पीछा] १. जिस ओर या जिस दिशा में किसी का पीछा या पीठ हो, उस ओर या उस दिशा में। किसी के मुख या सामनेवाली दिशा की विपरीत दिशा में। ‘आगे’ और ‘सामने’ का विपर्याय। जैसे—(क) हम लोग सभापति के पीछे बैठे थे। (ख) मकान के पीछे बहुत बड़ा मैदान था। विशेष—इस अर्थ में उक्त ओर या दिशा में होनेवाले विस्तार का भाव भी निहित है; और इसके अधिकतर मुहा० इसी आधार पर बने हैं। मुहा०—(किसी के) पीछे चलना=किसी का अनुगामी या अनुयायी बनना। अनुकरण करना। जैसे—आजकल तो जो नेता बन सके, उसी के पीछे हजारों आदमी चलने लगते हैं। (किसी चीज या व्यक्ति का) पीछे छूटना=किसी की तुलना में या किसी के विचार से पीछे की ओर रह जाना। जैसे— (क) यात्रियों में से कुछ लोग पीछे छूट गये थे। (ख) हम लोग बातें करते हुए आगे बढ़ गए, और उनका मकान पीछे छूट गया। (किसी काम या बात में किसी के) पीछे छूटना या रह जाना=उन्नति, गति, दौड़ प्रतियोगिता आदि में किसी से घटकर या कम योग्यता का सिद्ध होना। किसी की तुलना में पिछड़ा हुआ सिद्ध होना। जैसे—आणविक आविष्कारों के क्षेत्र में बहुत से देश अमेरिका और रूस से पीछे छूट गये हैं। इस मुहा० में ‘छूटना’ के साथ संयो० क्रि० ‘जाना’ का प्रयोग प्रायः अनिवार्य रूप से होता है। (किसी का किसी व्यक्ति के) पीछे छूटना या लगना=किसी भागे हुए आदमी को पकड़ने के लिए या किसी का भेद, रहस्य आदि जानने के लिए किसी का नियुक्त किया जाना या होना। जैसे—डाकुओं का पता लगाने के लिए बीसियों जासूस (या सिपाही उनके पीछे छूटे या लगे) थे। (किसी काम या बात में किसी को) पीछे छोडना= किसी विषय में औरों से बढ़कर इस प्रकार आगे हो जाना कि और लोग उसकी तुलना में न आ सकें या बराबरी न कर सकें। कौशल, योग्यता, सामर्थ्य आदि में औरों से आगे बढ़ जाना। जैसे—अपने काम में वह बहुतों को पीछे छोड़ गया है। (किसी को किसी के) पीछे छोड़ना, भेजना या लगाना=(क) जासूस या भेदिया बनाकर किसी को किसी के साथ लगाना। भेदिया नियुक्त करना या साथ लगाना। (ख) भागे हुए व्यक्ति को पकड़कर लाने के लिए कुछ लोगों को नियुक्त करना। (किसी को किसी के) पीछे डालना=दे० ऊपर (किसी के) ‘पीछे छोड़ना, भेजना या लगाना’। (धन) पीछे डालना=भविष्यत् की आवश्यकता के लिए खर्च से बचाकर कुछ धन एकत्र करके रखना। आगे के लिए संचय करना। जैसे—हर महीने दस-पाँच रुपए बचाकर पीछे भी डालते चलना चाहिए। (किसी काम या व्यक्ति के) पीछे दौड़ना या दौड़ पड़ना=बिना सोचे समझे किसी काम या बात में लग जाना या किसी का अनुगामी अथवा अनुयायी बनना। (किसी को किसी के) पीछे दौड़ाना=गये या जाते हुए आदमी को बुला या लौटा लाने या उसे कोई संदेशा पहुँचाने के लिए किसी को उसके पीछे भेजना। (किसी काम या बात के) पीछे पड़ना या पड़ जाना=किसी काम को कर डालने पर तुल जाना। किसी कार्य के लिए बहुत परिश्रमपूर्वक निरंतर उद्योग करते रहना। (कुछ कुत्सित या हीन भाव का सूचक) जैसे—तुम्हारी यह बहुत बुरी आदत है कि तुम हर काम या बात के पीछे पड़ जाते हों। (किसी व्यक्ति के) पीछे पड़ना=(क) कोई काम करने के लिए किसी से बहुत आग्रहपूर्वक और बार बार कहना। (ख) किसी को बहुत अधिक तंग, दुःखी या परेशान करने के लिए कटिबद्ध होना। (किसी के) पीछे लगना=(क) किसी का अनुगामी या अनुयायी बनना। किसी का अनुकरण करना। (ख) दे० ऊपर (किसी काम, बात या व्यक्ति के) पीछे पड़ना। (किसी व्यक्ति को अपने) पीछे लगाना=किसी को अपना अनुगामी या अनुयायी बनाना। (कोई काम या बात अपने) पीछे लगाना=कोई काम या बात इस प्रकार घनिष्ठ रूप में अपने साथ सम्बद्ध करना कि सहसा उससे बचाव, रक्षा या विरक्ति न हो सके। जान-बूझकर ऐसे का या बात से सम्बद्ध होना जिससे तंग, दुःखी या परेशान होना पड़े। जैसे—तुमने यह व्यर्थ का झगडा अपने पीछे लगा लिया है। (किसी व्यक्ति को किसी के) पीछे लगाना=किसी का भेद या रहस्य जानने अथवा किसी को तंग करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को उत्साहित या नियत करना। जैसे—वे तो चुपचाप घर बैठे हैं, पर अपने आदमियों को उन्होने हमारे पीछे लगा दिया है। (कोई काम या बात किसी के) पीछे लगाना=कोई काम या बात इस प्रकार किसी के साथ सम्बद्ध करना कि वह उससे तंग, दुःखी या परेशान हो, अथवा सहज में अपना बचाव या रक्षा न कर सके। जैसे—बीड़ी पीने की लत तुम्हीं ने उसके पीछे लगा दी है। २. अनुपस्थिति या अविद्यमान होने की अवस्था में। किसी के सामने न रहने की दशा में। जैसे—किसी के पीछे उसकी बुराई करना बहुत अनुचित है। पद—पीठ पीछे=दे० ‘पीठ’ के अन्तर्गत यह पद। ३. किसी के इस लोक में न रह जाने की दशा में। मर जाने पर। मरणोपरांत। जैसे—आदमी के पीछे उसका नाम ही रह जाता है। ४. कोई काम, घटना, या बात हो चुकने पर, उसके बाद। उपरांत। फिर। जैसे—पहले तो उन्होंने बहुत धन गँवाया था, पर पीछे वे संभल गये थे। विशेष—इस अर्थ में कभी-कभी यह ‘पीछे को’ या ‘पीछे से’ के रूप में भी प्रयुक्त होता है। जैसे—पीछे को (या पीछे से) हमें दोष मत देना। ५. कालक्रम, देश आदि के विचार से किसी के पश्चात या उपरांत। घटना या स्थिति के विचार से किसी के अनंतर, कुछ दूर या कुछ देर बाद। उपरांत। पश्चात्। जैसे—सब लोग एक पंक्ति में एक दूसरे के पीछे चल रहे थे। ६. किसी के अर्थ से, कारण या खातिर। निमित्त। लिए। वास्ते। जैसे—तुम्हारे पीछे ही मैं ये सब कष्ट सह रहा हूँ। ७. प्रति इकाई के विचार से या हिसाब से। जैसे—अब आदमी पीछे पाव भर आटा पड़ता या मिलता है। |
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पीछे :
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अव्य० [हिं० पीछा] १. जिस ओर या जिस दिशा में किसी का पीछा या पीठ हो, उस ओर या उस दिशा में। किसी के मुख या सामनेवाली दिशा की विपरीत दिशा में। ‘आगे’ और ‘सामने’ का विपर्याय। जैसे—(क) हम लोग सभापति के पीछे बैठे थे। (ख) मकान के पीछे बहुत बड़ा मैदान था। विशेष—इस अर्थ में उक्त ओर या दिशा में होनेवाले विस्तार का भाव भी निहित है; और इसके अधिकतर मुहा० इसी आधार पर बने हैं। मुहा०—(किसी के) पीछे चलना=किसी का अनुगामी या अनुयायी बनना। अनुकरण करना। जैसे—आजकल तो जो नेता बन सके, उसी के पीछे हजारों आदमी चलने लगते हैं। (किसी चीज या व्यक्ति का) पीछे छूटना=किसी की तुलना में या किसी के विचार से पीछे की ओर रह जाना। जैसे— (क) यात्रियों में से कुछ लोग पीछे छूट गये थे। (ख) हम लोग बातें करते हुए आगे बढ़ गए, और उनका मकान पीछे छूट गया। (किसी काम या बात में किसी के) पीछे छूटना या रह जाना=उन्नति, गति, दौड़ प्रतियोगिता आदि में किसी से घटकर या कम योग्यता का सिद्ध होना। किसी की तुलना में पिछड़ा हुआ सिद्ध होना। जैसे—आणविक आविष्कारों के क्षेत्र में बहुत से देश अमेरिका और रूस से पीछे छूट गये हैं। इस मुहा० में ‘छूटना’ के साथ संयो० क्रि० ‘जाना’ का प्रयोग प्रायः अनिवार्य रूप से होता है। (किसी का किसी व्यक्ति के) पीछे छूटना या लगना=किसी भागे हुए आदमी को पकड़ने के लिए या किसी का भेद, रहस्य आदि जानने के लिए किसी का नियुक्त किया जाना या होना। जैसे—डाकुओं का पता लगाने के लिए बीसियों जासूस (या सिपाही उनके पीछे छूटे या लगे) थे। (किसी काम या बात में किसी को) पीछे छोडना= किसी विषय में औरों से बढ़कर इस प्रकार आगे हो जाना कि और लोग उसकी तुलना में न आ सकें या बराबरी न कर सकें। कौशल, योग्यता, सामर्थ्य आदि में औरों से आगे बढ़ जाना। जैसे—अपने काम में वह बहुतों को पीछे छोड़ गया है। (किसी को किसी के) पीछे छोड़ना, भेजना या लगाना=(क) जासूस या भेदिया बनाकर किसी को किसी के साथ लगाना। भेदिया नियुक्त करना या साथ लगाना। (ख) भागे हुए व्यक्ति को पकड़कर लाने के लिए कुछ लोगों को नियुक्त करना। (किसी को किसी के) पीछे डालना=दे० ऊपर (किसी के) ‘पीछे छोड़ना, भेजना या लगाना’। (धन) पीछे डालना=भविष्यत् की आवश्यकता के लिए खर्च से बचाकर कुछ धन एकत्र करके रखना। आगे के लिए संचय करना। जैसे—हर महीने दस-पाँच रुपए बचाकर पीछे भी डालते चलना चाहिए। (किसी काम या व्यक्ति के) पीछे दौड़ना या दौड़ पड़ना=बिना सोचे समझे किसी काम या बात में लग जाना या किसी का अनुगामी अथवा अनुयायी बनना। (किसी को किसी के) पीछे दौड़ाना=गये या जाते हुए आदमी को बुला या लौटा लाने या उसे कोई संदेशा पहुँचाने के लिए किसी को उसके पीछे भेजना। (किसी काम या बात के) पीछे पड़ना या पड़ जाना=किसी काम को कर डालने पर तुल जाना। किसी कार्य के लिए बहुत परिश्रमपूर्वक निरंतर उद्योग करते रहना। (कुछ कुत्सित या हीन भाव का सूचक) जैसे—तुम्हारी यह बहुत बुरी आदत है कि तुम हर काम या बात के पीछे पड़ जाते हों। (किसी व्यक्ति के) पीछे पड़ना=(क) कोई काम करने के लिए किसी से बहुत आग्रहपूर्वक और बार बार कहना। (ख) किसी को बहुत अधिक तंग, दुःखी या परेशान करने के लिए कटिबद्ध होना। (किसी के) पीछे लगना=(क) किसी का अनुगामी या अनुयायी बनना। किसी का अनुकरण करना। (ख) दे० ऊपर (किसी काम, बात या व्यक्ति के) पीछे पड़ना। (किसी व्यक्ति को अपने) पीछे लगाना=किसी को अपना अनुगामी या अनुयायी बनाना। (कोई काम या बात अपने) पीछे लगाना=कोई काम या बात इस प्रकार घनिष्ठ रूप में अपने साथ सम्बद्ध करना कि सहसा उससे बचाव, रक्षा या विरक्ति न हो सके। जान-बूझकर ऐसे का या बात से सम्बद्ध होना जिससे तंग, दुःखी या परेशान होना पड़े। जैसे—तुमने यह व्यर्थ का झगडा अपने पीछे लगा लिया है। (किसी व्यक्ति को किसी के) पीछे लगाना=किसी का भेद या रहस्य जानने अथवा किसी को तंग करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को उत्साहित या नियत करना। जैसे—वे तो चुपचाप घर बैठे हैं, पर अपने आदमियों को उन्होने हमारे पीछे लगा दिया है। (कोई काम या बात किसी के) पीछे लगाना=कोई काम या बात इस प्रकार किसी के साथ सम्बद्ध करना कि वह उससे तंग, दुःखी या परेशान हो, अथवा सहज में अपना बचाव या रक्षा न कर सके। जैसे—बीड़ी पीने की लत तुम्हीं ने उसके पीछे लगा दी है। २. अनुपस्थिति या अविद्यमान होने की अवस्था में। किसी के सामने न रहने की दशा में। जैसे—किसी के पीछे उसकी बुराई करना बहुत अनुचित है। पद—पीठ पीछे=दे० ‘पीठ’ के अन्तर्गत यह पद। ३. किसी के इस लोक में न रह जाने की दशा में। मर जाने पर। मरणोपरांत। जैसे—आदमी के पीछे उसका नाम ही रह जाता है। ४. कोई काम, घटना, या बात हो चुकने पर, उसके बाद। उपरांत। फिर। जैसे—पहले तो उन्होंने बहुत धन गँवाया था, पर पीछे वे संभल गये थे। विशेष—इस अर्थ में कभी-कभी यह ‘पीछे को’ या ‘पीछे से’ के रूप में भी प्रयुक्त होता है। जैसे—पीछे को (या पीछे से) हमें दोष मत देना। ५. कालक्रम, देश आदि के विचार से किसी के पश्चात या उपरांत। घटना या स्थिति के विचार से किसी के अनंतर, कुछ दूर या कुछ देर बाद। उपरांत। पश्चात्। जैसे—सब लोग एक पंक्ति में एक दूसरे के पीछे चल रहे थे। ६. किसी के अर्थ से, कारण या खातिर। निमित्त। लिए। वास्ते। जैसे—तुम्हारे पीछे ही मैं ये सब कष्ट सह रहा हूँ। ७. प्रति इकाई के विचार से या हिसाब से। जैसे—अब आदमी पीछे पाव भर आटा पड़ता या मिलता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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