शब्द का अर्थ
|
पीपल :
|
पुं० [सं० पिप्पल] बरगद की जाति का एक प्रसिद्ध वृक्ष जो भारत में प्रायः सभी स्थानों में अधिकता से पाया जाता है। पर इसमें जटाएँ नहीं फूटती। इसका गोदा (फल) पकने पर मीठा होता है। हिन्दू इसे बहुत पवित्र मानते और पूजते हैं। चलदल। चलपत्र। बोधिद्रुम। स्त्री० [सं० पिप्पली] एक प्रकार की लता जिसकी कलियाँ ओषधि के रूप में काम में आती है। कलियाँ तीन-चार अंगुल लंबी शहतूत (फल) के आकार की और स्वाद में तीखी होती है। पिप्पली। मागधी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीपल :
|
पुं० [सं० पिप्पल] बरगद की जाति का एक प्रसिद्ध वृक्ष जो भारत में प्रायः सभी स्थानों में अधिकता से पाया जाता है। पर इसमें जटाएँ नहीं फूटती। इसका गोदा (फल) पकने पर मीठा होता है। हिन्दू इसे बहुत पवित्र मानते और पूजते हैं। चलदल। चलपत्र। बोधिद्रुम। स्त्री० [सं० पिप्पली] एक प्रकार की लता जिसकी कलियाँ ओषधि के रूप में काम में आती है। कलियाँ तीन-चार अंगुल लंबी शहतूत (फल) के आकार की और स्वाद में तीखी होती है। पिप्पली। मागधी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीपलामूल :
|
पुं० [सं० पिप्पलीमूल] एक प्रसिद्ध ओषधि जो पीपल नामक लता की जड़ है। यह चरपरा, तीखा, गरम, रूखा, दस्तावार, पाचक, रेचक तथा कफ वात, आदि को दूर करनेवाला माना जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीपलामूल :
|
पुं० [सं० पिप्पलीमूल] एक प्रसिद्ध ओषधि जो पीपल नामक लता की जड़ है। यह चरपरा, तीखा, गरम, रूखा, दस्तावार, पाचक, रेचक तथा कफ वात, आदि को दूर करनेवाला माना जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |