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			| शब्द का अर्थ |  
				| पुनरुक्तवद-भास					 : | पुं० [सं० पुनरुक्त+वति, पुनरुक्तवत-आ+ भास, ब० स०] एक प्रकार का शब्दालंकार जिसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जो सुनने में एकार्थक और फलतः पुनरुक्त से जान पड़ें पर वास्तव में प्रसंगतः भिन्न-भिन्न अर्थ रखते हैं। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| पुनरुक्तवद-भास					 : | पुं० [सं० पुनरुक्त+वति, पुनरुक्तवत-आ+ भास, ब० स०] एक प्रकार का शब्दालंकार जिसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जो सुनने में एकार्थक और फलतः पुनरुक्त से जान पड़ें पर वास्तव में प्रसंगतः भिन्न-भिन्न अर्थ रखते हैं। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |