शब्द का अर्थ
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पुस :
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अव्य० [देश०] होंठों को सिकोड़कर हवा झटके से अन्दर की ओर खींचने से होनेवाला शब्द जो प्रायः प्यार से बिल्ली, कुत्ते आदि को अपने पास बुलाने के लिए किया जाता है। जैसे—आ पुस पुस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस :
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अव्य० [देश०] होंठों को सिकोड़कर हवा झटके से अन्दर की ओर खींचने से होनेवाला शब्द जो प्रायः प्यार से बिल्ली, कुत्ते आदि को अपने पास बुलाने के लिए किया जाता है। जैसे—आ पुस पुस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुसकर :
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पुं०=पुष्कर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुसकर :
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पुं०=पुष्कर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुसाना :
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अ. [हिं० पोसना का अ०] १. पोसा जाना। पोषण होना। २. कार्य आदि का शक्य या संभव होना। पूरा पड़ना। बन पड़ना। ३. अच्छा, उचित या भला लगना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुसाना :
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अ. [हिं० पोसना का अ०] १. पोसा जाना। पोषण होना। २. कार्य आदि का शक्य या संभव होना। पूरा पड़ना। बन पड़ना। ३. अच्छा, उचित या भला लगना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्त :
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पुं० [सं०√पुस्त् (बाँधना)+अच्] १. गीली मिट्टी, लकड़ी, कपड़े, चमड़े, लोहे या रत्नों आदि को गढ़, काट या छील-छालकर बनाई जानेवाली वस्तु। सामान। २. कारीगरी। रचना-कौशल। ३. किताब। पुस्तक। जैसे—पुस्त-पाल (देखें)। स्त्री०=पुश्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्त :
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पुं० [सं०√पुस्त् (बाँधना)+अच्] १. गीली मिट्टी, लकड़ी, कपड़े, चमड़े, लोहे या रत्नों आदि को गढ़, काट या छील-छालकर बनाई जानेवाली वस्तु। सामान। २. कारीगरी। रचना-कौशल। ३. किताब। पुस्तक। जैसे—पुस्त-पाल (देखें)। स्त्री०=पुश्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्त-डाक :
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स्त्री० [सं० पुस्तक+हिं० डाक] वह डाक या डाक से भेजने की वह विधि जिसके अनुसार समाचार-पत्र पुस्तकें आदि विशेष रिआयती दर से भेजी जाती हैं। (बुक पोस्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्त-डाक :
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स्त्री० [सं० पुस्तक+हिं० डाक] वह डाक या डाक से भेजने की वह विधि जिसके अनुसार समाचार-पत्र पुस्तकें आदि विशेष रिआयती दर से भेजी जाती हैं। (बुक पोस्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तक :
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स्त्री० [सं० पुस्त+क] [स्त्री० अल्पा० पुस्तिका] १. हाथ से लिखे हुए या छपे हुए पन्नों का जिल्द बँधा हुआ रूप। (पत्रिका से भिन्न) २. कोई वैज्ञानिक या साहित्यिक कृति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तक :
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स्त्री० [सं० पुस्त+क] [स्त्री० अल्पा० पुस्तिका] १. हाथ से लिखे हुए या छपे हुए पन्नों का जिल्द बँधा हुआ रूप। (पत्रिका से भिन्न) २. कोई वैज्ञानिक या साहित्यिक कृति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकाकार :
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वि० [सं० पुस्तक-आकार, ब० स०] जो पुस्तक के आकार या रूप में हो। जैसे—उनके सब लेख पुस्तकाकार छप गये हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकाकार :
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वि० [सं० पुस्तक-आकार, ब० स०] जो पुस्तक के आकार या रूप में हो। जैसे—उनके सब लेख पुस्तकाकार छप गये हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकागार :
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पुं० [सं० पुस्तक-आगार, ष० त०] पुस्तकालय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकागार :
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पुं० [सं० पुस्तक-आगार, ष० त०] पुस्तकालय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकालय :
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पुं० [सं० पुस्तक-आलय] १. वह भवन या घर जिसमें अध्ययन और संदर्भ के लिए पुस्तकें रखी गई हों। जैसे—उनके पुस्तकालय में ५ हजार से अधिक पुस्तकें थीं। २. उक्त प्रकार का भवन या स्थान जहाँ से सर्वसाधारण को पढ़ने के लिए पुस्तकें मिलती हों। जैसे—इस नगर में एक बहुत बड़ा पुस्तकालय खुलनेवाला है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकालय :
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पुं० [सं० पुस्तक-आलय] १. वह भवन या घर जिसमें अध्ययन और संदर्भ के लिए पुस्तकें रखी गई हों। जैसे—उनके पुस्तकालय में ५ हजार से अधिक पुस्तकें थीं। २. उक्त प्रकार का भवन या स्थान जहाँ से सर्वसाधारण को पढ़ने के लिए पुस्तकें मिलती हों। जैसे—इस नगर में एक बहुत बड़ा पुस्तकालय खुलनेवाला है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकालयाध्यक्ष :
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पुं० [सं० पुस्तकालय-अध्यक्ष, ष० त०] पुस्तकालय का प्रधान अधिकारी। (लाइब्रेरियन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकालयाध्यक्ष :
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पुं० [सं० पुस्तकालय-अध्यक्ष, ष० त०] पुस्तकालय का प्रधान अधिकारी। (लाइब्रेरियन) |
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पुस्तकास्तरण :
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पुं० [सं० पुस्तक-आस्तरण, ष० त०] १. पुस्तक की बेठन। २. पुस्तक पर उसे धूल, मैल आदि से बचाने के लिए चढ़ाया जानेवाला कागज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकास्तरण :
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पुं० [सं० पुस्तक-आस्तरण, ष० त०] १. पुस्तक की बेठन। २. पुस्तक पर उसे धूल, मैल आदि से बचाने के लिए चढ़ाया जानेवाला कागज। |
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पुस्तकी :
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स्त्री० [सं० पुस्तक+ङीष्] पुस्तिका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकी :
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स्त्री० [सं० पुस्तक+ङीष्] पुस्तिका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकीय :
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वि० [सं० पुस्तक+छ—ईय] १. पुस्तक- संबंधी। २. पुस्तकों से प्राप्त होनेवाला। जैसे—पुस्तकीय ज्ञान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तकीय :
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वि० [सं० पुस्तक+छ—ईय] १. पुस्तक- संबंधी। २. पुस्तकों से प्राप्त होनेवाला। जैसे—पुस्तकीय ज्ञान। |
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उपलब्ध नहीं |
पुस्तपाल :
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पुं० [सं० पुस्त√पालु (रक्षा)+णिच्+अच्] १. प्राचीन भारत में वह अधिकारी जो किसी राजकीय कार्यालय के कागज-पत्र संभालकर रखता था। २. आज-कल किसी पुस्तकालय का प्रधान अधिकारी। (लाइब्रेरियन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तपाल :
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पुं० [सं० पुस्त√पालु (रक्षा)+णिच्+अच्] १. प्राचीन भारत में वह अधिकारी जो किसी राजकीय कार्यालय के कागज-पत्र संभालकर रखता था। २. आज-कल किसी पुस्तकालय का प्रधान अधिकारी। (लाइब्रेरियन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तशिंबी :
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स्त्री० [सं०] एक प्रकार का सेम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तशिंबी :
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स्त्री० [सं०] एक प्रकार का सेम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तिका :
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स्त्री० [सं० पुस्तक+टाप्, इत्व] छोटी पुस्तक विशेषतः ऐसी छोटी पुस्तक जिसका आवरण कागज का ही हो, दफ्ती का न हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्तिका :
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स्त्री० [सं० पुस्तक+टाप्, इत्व] छोटी पुस्तक विशेषतः ऐसी छोटी पुस्तक जिसका आवरण कागज का ही हो, दफ्ती का न हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्ती :
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स्त्री० [सं० पुस्त+ङीप्] १. हाथ की लिखी हुई पोथी या किताब। २. पुस्तक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुस्ती :
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स्त्री० [सं० पुस्त+ङीप्] १. हाथ की लिखी हुई पोथी या किताब। २. पुस्तक। |
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समानार्थी शब्द-
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