शब्द का अर्थ
|
पोंछन :
|
स्त्री० [हिं० पोंछना] १. पोंछने की क्रिया या भाव। २. किसी पात्र में लगी हुई वस्तु का बचा हुआ वह अंश जो पोंछकर निकाला जाता है। पद—पेट की पोंछन=स्त्री की अंतिम संतान। ३. पोंछने के काम आनेवाला कपड़ा या कोई चीज। झाड़न। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पोंछना :
|
स० [सं० प्रोञ्छन, प्रा० पोंछन] १. सूखे कपड़े के टुकड़े को इस प्रकार किसी अंग, वस्तु या स्थान पर फेरना कि वह उस स्थान की आर्द्रता या नमी सोख ले। जैसे—रूमाल से आँसू या पसीना पोंछना; नहाकर तौलिये से गीला शरीर पोंछना। २. किसी स्थान पर जमी हुई मैल, बना हुआ चिह्न आदि हटाने आदि या दूर करने के उद्देश्य से उस पर सूखे अथवा कपड़े का टुकड़ा रगड़ते फेरना। जैसे—जमीन या फरश पोंछना, तख्ता या स्लेट पोंछना। संयो० क्रि०—डालना।—देना। —लेना। पुं० १. वह चीज जो कुछ पोंछने का काम में आती हो। जैसे—पैर-पोंछना=पाँवदान। २. वह चीज जो पोंछने पर निकलती हो। जैसे—पेट पोंछना। (देखें) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|