शब्द का अर्थ
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पोता :
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पुं० [सं० पौत्र; प्रा० पोत्त] [स्त्री० पोती] बेटे का बेटा। पुत्र का पुत्र। पुं० [हिं० पोतना] १. वह कपड़ा या कूची जिससे घरों में चूना पोता या फेरा जाता है। २. धुली हुई मिट्टी जो आँगन, चौका, दीवार आदि पोतने के काम आती है। क्रि० प्र०—फेरना।—लगाना। मुहा०—पोता फेरना=पूरी तरह से चौपट या बरबाद करना। चौका लगाना। पुं० [फा० फ़ोतः] १. भूमिकर। लगान। पोत। २. अंड-कोश। पुं० [सं० पोत] १५ या १६ अंगुल लंबी एक प्रकार की मछली जो भारत की प्रायः सभी नदियों में मिलती है। पुं० [सं०√पू+तृच्] १. यज्ञ में सोलह प्रधान ऋत्विजों में से एक। २. वायु। हवा। ३. विष्णु। पुं०=पोटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पोताई :
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स्त्री० [हिं० पोतना] पोतने की क्रिया, भाव या मजदूरी। |
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पोताच्छादन :
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पुं० [सं० पोत+आ√छद्+णिच्+ल्यु—अन] तंबू। छौलदारी। डेरा। |
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पोताधान :
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पुं० [सं० पोत-आधान, ष० त०] मछलियों के बच्चों का गोल या समूह। छाँवर। |
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पोतारा :
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पुं०=पुतारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पोतारी :
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स्त्री०=पुतारा। |
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पोताश्रय :
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पुं० [सं० पोत-आश्रय, ष० त०] समुद्र के किनारे का वह प्राकृतिक या कृत्रिम स्थान जहाँ पहुँचकर जहाज ठहरते तथा माल आदि उतारते-चढाते हैं। बन्दरगाह। (हार्बर) |
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पोतास :
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पुं० [सं०] भीमसेनी कपूर। बरास। |
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