प्रतिपत्ति/pratipatti

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प्रतिपत्ति  : स्त्री० [सं० प्रति√पद् (गति)+क्तिन्] १. प्राप्ति। पाना। २. ज्ञान। ३. अनुमान। ४. दान देना। ५. कार्य के रूप में लाना। कार्यान्वित या प्रतिपादन। ७. कोई बात अच्छी तरह और प्रमापूर्वक कहते हुए किसी के मन में बैठना। ८. उक्त प्रकार से कही हुई बात मान लेना। ग्रहण। स्वीकार। ९. मान-मर्यादा। गौरव। प्रतिष्ठा। १॰. शक्तिमत्ता आदि की धाक या साख। ११. आदर-सत्कार। १२. प्रवृत्ति। १३. दृढ़ निश्चय या विचार। १५. परिणाम। नतीजा।
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प्रतिपत्ति-कर्म (न्)  : पुं० [ष० त०] १. श्राद्ध आदि में, वह कर्म जो सब के अन्त में किया जाय। २. अन्त या समाप्ति के समय किया जाने वाला काम।
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प्रतिपत्ति-मूढ़  : वि०=किंकर्तव्य-विमूढ़।
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प्रतिपत्तिमान् (मत्)  : वि० [सं० प्रतिपत्ति+मतुप्] १. [स्त्री० प्रतिपत्तिमती] २. बुद्धिमान। ३. प्रसिद्ध। ४. कार्यकुशल।
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