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			| शब्द का अर्थ |  
				| प्रत्यक्ष-वाद					 : | पुं० [सं० ष० त०] दार्शनिक क्षेत्र में, यह मत या सिद्धान्त कि जो कुछ इन्द्रियों से प्रत्यक्ष दिखाई देता हो, या जो अनुभूत होता हो, वही ठीक है; उसके सिवा और सब बातें अथवा अज्ञात और अदृश्य कारण आदि मिथ्या या व्यर्थ और सब बातें अथवा अज्ञात और अदृश्य कारण आदि मिथ्या या व्यर्थ हैं। (एम्परिसिज्म) |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  
				| प्रत्यक्ष-वादी (दिन्)					 : | वि० [सं० प्रत्यक्ष-वाद+इनि] प्रत्यक्ष-वाद सम्बन्धी। प्रत्यक्ष-वाद का। पुं० वह जो प्रत्यक्ष-वाद का अनुयायी, पोषक या समर्थक हो। वह जो केवल प्रत्यक्ष को प्रमाण मानता हो। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |