प्रार्थन/praarthan

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प्रार्थन  : पुं० [सं० प्र√अर्थ+णिच्+ल्युट्—अन] प्रार्थना करने की क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रार्थना  : स्त्री० [सं० प्र√अर्थ+णिच् युय्—अन, टाप्] १. नम्रतापूर्वक निवेदित की जानेवाली बात। निवेदन। (रिक्वेस्ट) २. भक्ति और श्रद्धापूर्वक ईश्वर, देवता आदि से अपने किसी के अथवा सबके कल्याण के लिए कही जानेवाली बात। ३. विशिष्ट संप्रदायों आदि के वे गेय पद जिनमें मंगल-कामना के भाव होते हैं। ४. तंत्र में, प्रार्थना के समय की एक विशिष्ट मुद्रा। ५. मुकदमे के आरंभ के लिए न्यायालय से किया जानेवाला लिखित निवेदन। अरजी-दावा। ६. इच्छा। सं० प्रार्थना करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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प्रार्थना-पत्र  : पुं० [ष० त०] वह पत्र जिसमें किसी प्रकार की प्रार्थना लिखी हो। निवेदनपत्र। अर्जी। जैसे—अमुक बालक का छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र आया था।
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प्रार्थना-भग  : पुं० [ष० त०] प्रार्थना अस्वीकृत करना।
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प्रार्थना-समाज  : पुं० [सं० ष० त०] एक आधुनिक संप्रदाय जिसके अनुयायी महाराष्ट्र की ओर अधिक हैं।
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प्रार्थनीय  : वि० [सं० प्र√अर्थ+णिच्+अनीयर] जिसके संबंध में प्रार्थना की गई हो या की जाने को हो। पुं० द्वापर युग।
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