| शब्द का अर्थ | 
					
				| फरिया					 : | स्त्री० [हिं० फेरना] १. वह लहँगा जो सामने की ओर सिला नहीं रहता। २. वह ओढ़नी जो स्त्रियां लहँगा पहनने पर ऊपर से ओढ़ती है। पुं० [हिं० फिरना] रहट के चरखे के चक्कर में लगी हुई वे लकड़ियाँ जिन पर मिट्टी की हाँडि़यों की माला लटकती है। पुं० [हिं० परी=मिट्टी का कटोरा] मिट्टी की नाँद जो चीनी के कारखानों मे पाग छोड़कर चीनी बनाने के लिए रखी जाती है। हौद। | 
			
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				| फरियाद					 : | स्त्री० [फा० फर्याद] १. विपत्ति, संकट आदि में पड़ने पर सहायतार्थ की जानेवाली पुकार। २. विशेषतः दूसरों द्वारा सताये जाने आदि पर प्रमुख अधिकारी या शासक के समक्ष न्याय पाने के लिए की जानेवाली प्रार्थना। ३. न्याय की याचना के लिए न्यायालय में दिया जानेवाला प्रार्थना-पत्र। | 
			
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				| फरियादी					 : | वि० [फा० फ़र्यादी] १. फ़रियाद-संबंधी। २. फरियाद के रूप में होनेवाला। ३. फरियाद करनेवाला। ४. अभियोग उपस्थित करनेवाला। अभियोक्ता। | 
			
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				| फरियाना					 : | स० [सं० फलन या फलीकरण] १. साफ या स्वच्छ करना। २. अनाज फटकाकर उसकी भूसी आदि अलग करके उसे साफ करना। ३. विवाद का इस प्रकार अन्त करना कि दोनों पक्षों की भूलें स्पष्ट हो जायँ और दोनों को न्याय से संतोष हो जाय। निपटाना। अ० १. साफ या स्वच्छ होना। २. अनाज का भूसी आदि से अलग होना। ३. विवाद का निर्णय होना। | 
			
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