शब्द का अर्थ
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फार :
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पुं० [सं० स्फार] १. खण्ड। टुकड़ा। २. किसी प्रकार के चौड़े पतले अंग का विस्तार। ३. वृक्षों के पत्तों का वह मुख्य पतला और चौड़ा अंग जो डंठल के आगे निकला रहता है। (लैमिना) पुं० फाल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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फारखती :
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स्त्री० [अ० फारिग+फा० खती] १. रुपया अदा होने की रसीद। ऋण मुक्ति का सूचक पत्र। २. वह कागज या लेख जिस पर यह लिखा हो कि अमुक व्यक्ति अपने अधिकार या उत्तरदायित्व आदि से पूर्णतः मुक्त हो गया है और प्रस्तुत विषय से उसका कोई संबंध नहीं रह गया है। जैसे—बाप ने बेटे से फारखती लिखा ली है, अर्थात् यह लिखा लिया है कि हमारी सम्पत्ति पर उसका कोई अधिकार नहीं है। क्रि० प्र०—लिखना।—लिखाना। |
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फारना :
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स०—फाड़ना। |
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फारम :
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पुं० [अं० फार्म] १. प्रार्थना, विवरण आदि से संबंध रखनेवाला पत्रों आदि का वह निश्चित और विहित रूप जिनमें भिन्न-भिन्न ज्ञातव्य बातों का उल्लेख करने के लिए अलग-अलग कोष्ठक, स्तम्भ या स्थान बने होते हैं। रूपक। २. इस प्रकार का बना अथवा छपा हुआ कोई कागज। ३. खेलों आदि में, खिलाड़ी की वह शारीरिक और मानसिक स्वस्थ स्थिति जो उन्हें अच्छी तरह से खेलने में समरथ करती है। जैसे—क्रिकेट का अमुक खिलाड़ी फारम में नहीं हैं। पुं० [अ० फार्म] खेती-बारी की जमीन का वह बड़ा खंड या टुकड़ा जिसमें कुछ विशिष्ट रीतियों से अधिक मात्रा में चीजें बोई जाती हों अथवा पशु-पक्षी आदि पालन और वर्धन के लिए रखे जाते हों। (फार्म) |
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फारस :
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पुं० [सं० पारस्य, फा० फ़ार्स] अफगानिस्तान के पश्चिम का एक प्रसिद्ध देश जिसे आज-कल ईरान कहते हैं तथा जिसमें वैदिक युग में आर्य लोग रहते थे, जहाँ कुछ दिनों बाद फारसी धर्म और अन्त में इस्लाम का प्रचार हुआ था। |
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फारसी :
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वि० [फा० फ़ार्सी] फारस या ईरान देश में होने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। फारस का। स्त्री० फारसी अर्थात् आधुनिक ईरान की भाषा जो वस्तुतः आर्य-परिवार की ही है। |
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फारा :
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पुं० १. =फार (फालः २. =फरा (व्यंजन) |
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फारिग :
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वि० [अ० फ़ारिग़] १. जो अपना कोई काम करके निश्चित हो गया हो। जिसने किसी काम से छुट्टी पा ली हो। मुक्त। स्वतंत्र। आजाद। ३. काम से फुरसत पाया हुआ। सावकाश। अवकाश-प्राप्त। |
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फारिग-खती :
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स्त्री० दे० ‘फारखती’। |
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फारिगुलबाल :
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वि० [अ० फारिग-उल्बाल] [भाव० फारिगुलबाली] १. जिस पर बाल-बराबर भी भार न रह गया हो। फलतः सब प्रकार से बेफिक्र या निश्चित। २. जो सब प्रकार से सम्पन्न और सुखी हो। |
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फारी :
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स्त्री०=फरिया (ओढ़नी)। उदाहरण—चनैटा खीरोद फारी।—जायसी। |
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फार्म :
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पुं० दे० ‘फारम’। |
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