भाँज/bhaanj

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भाँज  : स्त्री० [हिं० भाँजना] १. भाँजने की क्रिया या भाव। २. किसी चीज के भाँजे जाने के कारण पड़नेवाला चिन्ह या रेखा। ३. वह धन जो रुपया नोट आदि भाँजने अर्थात् भुनाने के बदले में दिया जाय। भुनाई। ४. ताने या सूत (जुलाहे)। स्त्री० [सं० भंज] बारी।
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भाँजना  : स० [हिं० भाँजना] १. किसी लम्बी चौड़ी चीज की परत या परतें लगाना। तह करना। मोड़ना। जैसे—कपड़ा या कागज भाँजना। २. तलवार, पटा, मुगदर लाठी आदि के सम्बन्ध में हाथ में लेकर अभ्यास, प्रदर्शन, वार व्यवहार आदि के लिए इधर-उधर घुमाना। ३. दो या कई लड़ों को एक में मिलाकर बटना या मरोड़ना।
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भाँजा  : पुं० =भानजा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भाँजी  : स्त्री० [हिं० भाँजना=तोड़ना] ऐसी बात जो जान-बूझकर किसी काकाम बिगाड़ने के लिए किसी दूसरे से कही जाय। मुहावरा—भाँजी मारना=किसी से किसी के विरुद्ध उक्त प्रकार की बात कहना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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