शब्द का अर्थ
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मक्खी :
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स्त्री० [सं० मक्षिका] १. एक प्रसिद्ध छोटा कीड़ा जो प्रायः सारे संसार में पाया जाता है। यह प्रायः खाने-पीने की चीजों पर बैठकर उनमें संक्रामक रोगों के कीटाणु फैलाता है। मक्षिका। पद—मक्खीचूस, मक्खी-मार। मुहा०—जीती मक्खी निगलना=(क) जान-बूछकर कोई ऐसा अनुचित कृत्य या पाप करना जिसके कारण आगे चलकर बहुत बड़ी हानि हो। (ख) जान-बूझकर किसी के दोष आदि की ओर ध्यान न देना। नाक पर मक्खी न बैठने देना=(क) किसी को अपने ऊपर एहसान करने का तनिक भी अवसर न देना। (ख) अपने संबंध में कोई, ऐसा काम या बात न होने देना जिसमें किसी प्रकार की दीनता सूचित होती हो। मक्खी की तरह निकाल देना या निकाल फेंकना=किसी को किसी काम से बिलकुल अलग या दूर कर देना। मक्खी छोड़ना और हाथी निगलना=छोटे-छोटे पापों से बचना, पर बहुत बड़े-बड़े पाप करने में संकोच न करना। मक्खी मारना=बिलकुल खाली और निकम्मे बैठे रहना, अथवा तुच्छा और व्यर्थ के काम करना। २. मधु-मक्खी। ३. बंदूक के अगले भाग में वह उभरा हुआ अंश जिसकी सहायता से निशाना साधा जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
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मक्खीचूस :
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पुं० [हिं० मक्खी+चूसना] १. घी आदि में पड़ी हुई तक को चूस लेनेवाला व्यक्ति। २. लाक्षणिक अर्थ में बहुत बड़ा कंजूस। |
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मक्खीदानी :
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स्त्री० [हिं० मक्खी+फा० दानी] एक तरह का जालीदार कपड़े का बना हुआ संदूक जिसमें मक्खियाँ फँसाई जाती हैं। |
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मक्खीमार :
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पुं० [हिं० मक्खी+मारना] १. एक प्रकार का बहुत छोटा जानवर जो प्रायः मक्खियाँ मार मारकर खाया करता है। २. एक प्रकार की छड़ी जिसके सिरे पर चमड़ा लगा होता है। जिसकी सहायता से लोग प्रायः मक्खियाँ उड़ाते हैं। ३. बहुत ही घृणित व्यक्ति। वि० (चीज) जिसकी सहायता से मक्खियाँ मारी जाती हो। जैसे—मक्खीमार कागज। |
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मक्खीलेट :
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स्त्री० [हिं० मक्खी+लेट ?] एक प्रकार की जाली जिसमें मक्खी के आकार की बहुत छोटी छोटी बूटियाँ होती हैं। |
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