शब्द का अर्थ
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					मध्या					 :
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					स्त्री० [सं० मध्य+टाप्] १. साहित्य में स्वकीया नायिका के तीन भेदों में से एक जिसमें काम और लज्जा की समान स्थिति मानी गई है। स्वकीया के अन्य दो भेद हैं—मुग्धा और प्रगल्भा। २. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में तीन अक्षर होते हैं। इसके आठ भेद हैं। ३. बीच की उँगली। मध्यमा।				 | 
			
			
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					मध्यांतर					 :
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					पुं० [सं० मध्य+अंतर] १. दो घटनाओं वस्तुओं आदि के मध्य या बीच के अंतर। २. उक्त प्रकार के अंतर के कारण बीतनेवाला समय। ३. किसी काम या बात के बीच में सुस्ताने आदि के लिए निकाला या नियत किया हुआ थोड़ा-सा समय (इन्टर्वल)।				 | 
			
			
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					मध्यान					 :
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					पुं०=मध्याह्न।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मध्यालु					 :
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					पुं० [सं० मधु-आलु, कर्म० स०] एक प्रकार के पौधे की जड़ जो खाई जाती है।				 | 
			
			
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					मध्यावकाश					 :
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					पुं० [सं० मध्य+अवकाश]=मध्यांतर।				 | 
			
			
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					मध्याह्न					 :
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					पुं० [सं० मध्य-अहन्, एकदेशि त० स०] १. दिन के ठीक बीच का वह समय जब सूर्य सबसे ऊपर आ जाता है। २. उक्त समय के बाद का थोड़ी देर तक का समय।				 | 
			
			
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					मध्याह्नोतर					 :
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					पुं० [सं० मध्य अहन-उत्तर, ष० त०] मध्याह्न के ठीक बादवाला समय। तीसरा पहर।				 | 
			
			
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