शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					मर्त					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√मृ (मरण)+तन्] १. मनुष्य। २. दे० ‘मर्त्यलोक’।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मर्तबा					 :
				 | 
				
					पुं० =मरतबा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मर्तबान					 :
				 | 
				
					पुं० [दक्षिणी बरमा के मर्तबान नगर के नाम पर] १. चीनी मिट्टी आदि का बना हुआ एक प्रकार का गोलाकार आधान। २. धातु आदि का बना हुआ कोई ऐसा लम्बा पात्र जिसमें दवाएँ, रासायनिक पदार्थ आदि रखें जाते हैं। ३. एक प्रकार का बढ़िया केला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मर्त्य					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० मर्त+यत्] १. मनुष्य। २. शरीर। ३. दे० ‘मर्त्यलोक’।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मर्त्य-धर्मा (मैन्)					 :
				 | 
				
					वि० [ब० स०] मरणशील।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मर्त्यमुख					 :
				 | 
				
					पुं० [ब० स०] [स्त्री० मर्त्यमुखी, मर्त्य-मुख ङीष्] किन्नर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मर्त्यलोक					 :
				 | 
				
					पुं० [ष० त०] यह संसार जिसमें सबको अंत में मरना पड़ता हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |