शब्द का अर्थ
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					मर्य					 :
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					पुं० [सं०√मृ (मरण)+यत्] मनुष्य।				 | 
			
			
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					मर्या					 :
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					स्त्री० [सं० मर्य+टाप्] सीमा।				 | 
			
			
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					मर्याद					 :
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					स्त्री० [सं० मर्या√दा (देना)+क] १. दे० ‘मर्य्यादा’। २. रीत-रिवाज। रसम। ३. चाल-ढाल। ४. रंग-ढंग। ५. विवाह के उपरान्त होनेवाला ‘बढ़ार’ नामक भोज। मुहावरा—मर्याद रहना=बरात का विवाह के तीसरे दिन ठहर कर ‘बढ़ार’ नामक भोज में सम्मिलित होना।				 | 
			
			
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					मर्यादा					 :
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					स्त्री० [सं० मर्याद+टाप्] १. सीमा। हद। २. नदी का किनारा। तट। ३. लोक में प्रचलित व्यवहार और उसके नियम आदि। ४. सदाचार। ५. गौरव। प्रतिष्ठा। मान ६. धर्म। ७. दो या अधिक आदमियों में होनेवाला निश्चय या प्रतिज्ञा। समझौता।				 | 
			
			
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					मर्यादा-वचन					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] ऐसा कथन जिसमें अधिकार कर्त्तव्य प्रदेश, स्थान आदि की सीमाओं का निर्देश हो।				 | 
			
			
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					मर्यादाचल					 :
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					पुं० [सं० मर्याद-अचल, मध्य० स०] सीमा पर स्थित पर्वत। सीमा सूचक पर्वत। सीमान्त पर्वत।				 | 
			
			
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					मर्यादाबंध					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. अधिकार की रक्षा। २. नजरबन्दी (अपराधियों आदि की) वि० जो मर्यादाओं से बँधा हुआ हो।				 | 
			
			
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					मर्यादी (दिन्)					 :
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					वि० [सं० मर्य्यादा+इनि] १. मर्यादा से युक्त। मर्यादावाला। २. सीमित।				 | 
			
			
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