शब्द का अर्थ
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मल्ल :
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पुं० [सं० मल्ल+अच्] १. एक प्राचीन प्रसिद्ध जाति। विशेष—इस जाति के लोग द्वन्द्व युद्ध में बड़े निपुण होते थे, इसीलिए द्वन्द्वयुद्ध का नाम मल्लयुद्ध और कुश्ती लड़नेवालों का नाम मल्ल पड़ा है। २. पहलवान। ३. एक संकर जाति। ४. एक प्राचीन जनपद। |
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मल्ल-क्रीड़ा :
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स्त्री० [सं० ष० त०] मल्लयुद्ध। कुश्ती। |
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मल्ल-तरु :
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पुं० [सं० मध्य० स०] चिरौंजी। |
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मल्ल-ताल :
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पुं० [सं० मध्य० स०] संगीत में एक प्रकार का ताल जिसमें पहले चार लघु और तब दो द्रुत मात्राएँ होती है। |
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मल्ल-नाग :
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पुं० [सं० उपमि० स०] १. ऐरावत। २. कामसूत्र के रचयिता वास्त्यायन का एक नाम। |
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मल्ल-भूमि :
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स्त्री० [सं० ष० त०] १. मलद नामक देश। २. कुश्ती लड़ने का स्थान। अखाड़ा। |
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मल्ल-युद्ध :
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मल्लों का युद्ध। कुश्ती। |
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मल्ल-विद्या :
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स्त्री० [सं० ष० त०] कुश्ती के दाँव-पेंच। |
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मल्ल-शाला :
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स्त्री० [सं० ष० त०] मल्लभूमि। अखाड़ा। |
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मल्लक :
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पुं० [सं० मल्ल+कन्] १. दाँत। २. दीअट। ३. दीमक। दीआ। पात्र। बरतन। ५. नारियल की खोपड़ी का बना हुआ प्याला। |
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मल्लखंभ :
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पुं० =मालखंभ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मल्लज :
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पुं० [सं० मल्ल√जन्+ड] काली मिर्च। |
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मल्ला :
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स्त्री० [सं० मल्ल+टाप्] १. स्त्री। २. मल्लिका। चमेली। २. पत्र-वल्ली नाम की लता। पुं० [देश] १. करघे में के हत्थे का ऊपरी भाग जिसे पकड़कर हत्था चलाया जाता है। २. एक प्रकार का लाल रंग जो कपड़े को लाल या गुलाबी रंग के माठ में बचे हुए रंग में डुबाने से आता है। |
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मल्लार :
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पुं० [सं० मल्ल√ऋ (प्राप्त होना)+अण्] वर्षा ऋतु में गाया जानेवाला एक प्रसिद्ध राग। मलार। |
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मल्लारि :
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पुं० [सं० मल्लअरि, ष० त०] १. कृष्ण। २. शिव। स्त्री०=मल्लारी। |
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मल्लारी :
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स्त्री० [सं० मल्लार+ङीष्] वर्षाऋतु में सवेरे के समय गायी जानेवाली एक रागिनी। |
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मल्लाह :
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पुं० [अ०] [स्त्री० मल्लाहिन, भाव, मल्लाही] वह जो नदी में नाव खेकर अपनी जीविका अर्जित करता हो। केवट। माँझी। |
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मल्लाही :
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वि० [फा०] मल्लाह सम्बन्धी। मल्लाह का। स्त्री०१. मल्लाह होने की अवस्था या भाव। २. मल्लाह का कार्य, पेशा या पद। ३. तैरने के समय दोनों हाथ चलाने का एक विशेष ढंग। ४. उक्त ढंग से की जानेवाली तैराई। ५. मल्लाहों की तरह की गंदी और भद्दी गालियाँ। उदाहरण—उन्होंने घूर-घूर कर लड़कियों को मल्लाही सुनाना शुरू किया।—अजीम बेग चुगताई। क्रि० प्र०—सुनाना। |
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मल्लि :
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पुं० [सं०√मल्ल+इन] जैनों के एक जिन। स्त्री०=मल्लिका। |
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मल्लि-गंधि :
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पुं० [सं० ब० स, इत्व] अगर। |
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मल्लि-नाथ :
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पुं० [सं०] १. जैनियों के उन्नीसवें तीर्थकार का नाम। २. ई० १४ वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध टीकाकार। रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत, नैषधचरित आदि अनेक ग्रंथों पर इन्होंने टीकाएँ लिखी थीं। |
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मल्लिक :
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पुं० [सं० मल्लि+कन्] १. एक प्रकार का हंस जिसकी चोंच तथा टाँगे भूरे रंग की होती है। २. जुलाहों की ढरकी। ३. माघ मास। पुं० =मलिक। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मल्लिका :
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स्त्री० [सं० मल्लिक+टाप्] १. चमेली। २. एक प्रकार का बेला। ३. आठ अक्षरों का एक वर्णिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः एक-एक रगण, जगण गुरु और लघु होता है। ४. सुमुखी वृत्त का एक नाम। |
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मल्लिकाक्ष :
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पुं० [सं० मल्लिका-अक्षि, ब० स० षच्] १. एक प्रकार का घोड़ा जिसकी आँख पर सफेद धब्बे होते हैं। २. उक्त प्रकार का सफेद धब्बा। ३. एक प्रकार का हंस। मल्लिक। |
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मल्लिकार्जुन :
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पुं० [सं०] एक शिवलिंग जो श्रीशैल पर प्रतिष्ठित है। |
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मल्ली :
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स्त्री० [सं०√मल्ल+ङीष्] १. मल्लिका। २. सुन्दरी नामक वृत्त का दूसरा नाम। |
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मल्लु :
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पुं० [सं०√मल्ल (धारण करना)+उ० बा०] १. भालू। २. बन्दर। |
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