मिस/mis

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मिस  : पुं० [सं० मिष] १. ऐसी स्थिति जिसमें किसी काम, चीज या बात का वास्तविक रूप तो कुछ और हो, पर किसी गूढ़ उद्देश्य से कुछ और ही रूप प्रकट करके दिखाया जाता हो। जैसे—पंडित जी ने उपदेश के मिस से श्रोताओं को उनके बहुत से दोष बताये और उन्हें ठीक मार्ग बताया। विशेष—बहाना से इसमें यह अन्तर है कि इसमें कौशल या निपुणता की मात्रा अधिक होती है, पर इसका प्रायः बुरा फल नहीं होता, और न इसमें अपना दोष छिपाने का ही भाव होता है। २. उक्त स्थिति में या उक्त प्रकार के उद्देश्य से कही जानेवाली बात। उदाहरण—(क) मैं क्या बच्चों का सा मिस कर रहा हूँ।—वृन्दावनलाल। (ख) भाड़ पुकारे पीर बस, मिस समझै सब कोय।—वृंदा ३. दे० ‘बहाना’ या ‘हीला’। अव्य० १. नाते या सम्बन्ध के विचार से। जैसे—फूफी मिस लीजिए, भतीजे मिस दीजिए। (कहा०) २. बहाने से। पुं० [फा०] ताँबा। स्त्री० [अं०] कुमारी कन्या या अविवाहिता स्त्री का वाचक शब्द। जैसे—मिस कल्याणी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मिसकना  : अ०दे०‘मिनमिनाना’।
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मिसकीन  : वि० [अ० मिस्कीन] १. दीन-हीन। बेचारा। २. दरिद्र। निर्धन। गरीब। ३. भोला-भाला। सीधा-साधा। ४. विनम्र। ५. त्यागी या विरक्त।
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मिसकीनी  : स्त्री० [हिं० मिसकीन+ई (प्रत्यय)] मिसकीन होने की अवस्था या भाव।
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मिसगर  : पुं० [फा०] [भाव० मिसगरी] १. ताँबे के बरतन आदि बनानेवाला। कारीगर। २. ठठेरा।
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मिसन  : स्त्री० [हिं० मिसना=मिलना] १. वह जमीन जिसकी मिट्टी में बालू मिला हो। २. बलुई मिट्टी।
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मिसना  : अ० [सं० मिश्रण] मिलाया जाना। मिश्रित होना। अ० [हिं० मीसना का अक० रूप] मीसा अर्थात् मींजा या मला जाना। वि० पुं० =मीसना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मिसमिल  : स्त्री० [अ० बिस्मिल्लाह] मुसलमानों में विस्मिल्लाह कहकर पशु की हत्या करने की प्रथा। उदाहरण—कतहूँ मिसमिल कतहूं छेव।—कबीर। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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मिसर  : पुं० १. =मिश्र। २. =मिस्र (देश)।
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मिसरा  : पुं० [अ० मिसरअ] १. उर्दू फारसी आदि की कविता में किसी कविता आदि का आधार भूत पहला चरण। २. चरण। पद। पद—मिसरा तरह। मुहावरा—मिसरा लगाना=किसी एक मिसरे में अपनी ओर से रचना करके दूसरा मिसरा जोड़ना या लगाना।
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मिसरा तरह  : पुं० [अ०+फा०] वह चरण जिसे आधार बनाकर कोई कविता लिखी जाती हो।
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मिसरी  : वि० [मिस्र देश से] मिस्र या मिसर नामक देश का। पुं० मिस्र देश का निवासी। स्त्री० १. मिस्र देश की भाषा। २. विशेष प्रकार से कूँड़े या थाल में जमाई हुई चीनी जो खाने में स्वादिष्ट होती है। (यह मिस्र देश में पहले-पहल बनी थी)। पद—मिसरी की डली=बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट पदार्थ। ३. एक प्रकार की शहद की मक्खी।
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मिसरोटी  : स्त्री० [हिं० मिस्सा+रोटी] १. मिस्से आटे अर्थात् दालो आदि के चूर्ण से बनी हुई रोटी। मिस्सा। २. अँगाकड़ी बाटी।
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मिसल  : स्त्री० [अ० मिसिल] सिक्खों के वे अनेक समूह जो अलग-अलग नायकों की आधीनता में स्वतंत्र हो गये हों। २. दे० ‘मिसिल’। वि० =मिस्ल।
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मिसहा  : वि० [हिं० मिस+हा (प्रत्य०)] मिस (दे०) या बहाना करनेवाला।
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मिसाल  : स्त्री० [अ०] १. उपमा। २. उदाहरण। दृष्टांत। ३. कहावत। लोकोक्ति।
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मिसालन  : अव्य० [अ० ०] उदाहरण-स्वरूप। उदाहरणार्थ।
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मिसाली  : वि० [अ०] मिसाल अर्थात् उदाहरण के रूप में होनेवाला या प्रस्तुत किया जानेवाला।
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मिसि  : स्त्री० [सं०√मस् (परिवर्तन करना)+इन्, इत्व] १. जटा माँसी। २. सौंफ। ३. सोआ नामक साग। ४. अजमोदा। ५. उशीर। खस।
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मिसिर  : स्त्री०=मिसरी।
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मिसिल  : स्त्री० [अ० मिस्ल] १. एक साथ रखे हुए अथवा नत्थी किये हुए किसी मुकदमें, विवाद या विषय से संबंध रखनेवाले कागज-पत्र। २. दफ्तरी खाने में, पुस्तक की सिलाई से पहले फरमों का क्रमानुसार लगाया हुआ रूप। क्रि० प्र०—उठाना।—लगाना।
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मिसिली  : वि० [हिं० मिसिल+ई (प्रत्यय)] १. जिसके संबंध में अदालत में कोई मिसिल बन चुकी हो। २. जिसे न्यायालय से सजा मिल चुकी हो। जैसे—मिसली चोर या डाकू।
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मिसी  : स्त्री० [फा०] मिस्सी। (दे०)
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मिस्कला  : पुं० [अ० मिस्कलः] तलवारें चमकाने का एक तरह का लोहे का यंत्र।
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मिस्की  : स्त्री० [?] संगीत में गाने का वह ढंग या प्रकार जिसमें गानेवाला अपने पूरे कंठ-स्वर से या खुलकर नहीं बल्कि बहुत ही कोमल और धीमे कंठस्वर में गाता है। (क्रून)
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मिस्कीन  : वि० =मिसकीन।
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मिस्कीनी  : स्त्री०=मिसकीनी।
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मिस्कोट  : पुं० [अं०मेस=भोज] १. भोजन। २. एक साथ बैठकर खाने-पीनेवालों का समूह। ३. आपस में होनेवाला गुप्त परामर्श।
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मिस्टर  : पुं० [अं०] महाशय। (नाम के पहले प्रयुक्त) जैसे—मिस्टर जिन्ना। इसका संक्षिप्त रूप मि०ही अधिक प्रचलित है।
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मिस्तर  : पुं० [हिं० मिस्तरी] १. इमारत में गज पीटने का पिटना नामक उपकरण। २. दफ्ती का वह टुकड़ा जिस पर सामान्तर पर डोरे लपेट या सी लेते हैं और जिनकी सहायता से कागज पर सीधी लकीरे खीची जाती हैं। पुं० =मेहतर।
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मिस्तरी  : पुं० [अं० मास्टर=उस्ताद] वह चतुर कारीगर जो इमारत, धातु या लकड़ी का काम करता हो अथवा यंत्रों आदि की मरम्मत करता हो।
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मिस्तरीखाना  : पुं० [हिं० मिस्तरी+फा० खाना] वह स्थान जहाँ बढ़ई, लोहार आदि बैठकर काम करते है।
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मिस्ता  : पुं० [देश] १. अनाज दाँने के लिए तैयार की हुई भूमि। २. बंजर जमीन।
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मिस्मिरेजिम  : पुं० =मेस्मरेजिम।
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मिस्र  : पुं० [अं०] अफ्रीका महादेश के उत्तर का एक प्रसिद्ध देश जो किसी समय बहुत अधिक उन्नत तथा सभ्य था। आजकल यह संयुक्त अरब गणराज्य के अन्तर्गत है। पुं० =मिस्र।
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मिस्रा  : पुं० =मिसरा।
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मिस्री  : वि० [फा० मिस्र] मिस्र देश का।
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मिस्ल  : वि० [अ०] समान। तुल्य। जैसे—यह घोड़ा मिस्ल तीर के जाता है। स्त्री० दे० ‘मिसिल’।
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मिस्सा  : पुं० [हिं० मिसना=मिलना या मीसना=मलना] १. मूँग, मोठ आदि का भूसा जो भेड़ों और ऊँटों के लिए अच्छा समझा जाता है। २. कई तरह की दालें एक साथ पीसकर तैयार किया हुआ आटा जिसकी रोटी बनती हैं। पद—मिस्सा कुस्सा=मोटा अन्न।
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मिस्सी  : स्त्री० [फा० मिसी] १. माजूफल, लोहचून तूतिया आदि के योग से तैयार किया जानेवाला एक तरह का मंजन जिससे स्त्रियाँ अपने दाँत और होंठ रँगती हैं। क्रि० प्र०—मलना।—लगाना। मुहावरा—मिस्सी काजल करना=स्त्रियों का बनाव-सिंगार करना। २. मुसलमान वेश्याओं की एक रस्म जिसमें किसी कुमारी वेश्या को पहले-पहल समागम कराने के लिए उसे मिस्सी लगाते हैं। नथिया उतरने या सिर-ढँकाई की रस्म। उदाहरण—हमको आशिक लबों दन्दों का समझकर उसने रुक्का भेजा हैं कि हमारी मिस्सी।—कोई शायर।
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