शब्द का अर्थ
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मूल्य :
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पुं० [सं० मूल्य+यत्] १. मुद्रा के रूप में उतना धन जो कोई चीज क्रय करने के लिए उसके बदले में किसी को देना पड़ता है। वह दर या भाव जिस पर कोई चीज बिकती हो। अर्थशास्त्र के अनुसार यह किसी वस्तु की माँग और होनेवाली पूर्ति की मात्रा के आधार पर स्थिर होता है। ३. वह गुण, या तत्त्व जिसके आधार पर किसी का महत्त्व या मान होता है। ४. वह जो किसी को किसी कारणवशात् झेलना, भुगतना या बलिदान करना पड़ता है। जैसे—अत्यधिक परिश्रम का मूल्य स्वास्थ्य-हानि के रूप में चुकाना पड़ता है। क्रि० प्र०—चुकाना। वि० १. प्रतिष्ठा के योग्य। कदर के लायक। २. (पौधा) जो रोपा जा सकता हो। ३. (फसल) जो जड़ से उखाडी जाने के योग्य। जैसे—उड़द, मूँग आदि। |
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समानार्थी शब्द-
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मूल्य-विज्ञान :
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पुं० [ष० त०] वह विज्ञान या शास्त्र जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि बाजारों में वस्तुओं के मूल्य किन आधारों पर या किन कारणों से घटते-बढ़ते रहते हैं। |
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मूल्य-सूचनांक :
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पुं० [ष० त०] दे० ‘सूचकाँक’। |
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मूल्य-ह्रास-निधि :
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पुं० [ष० त०] वह कोश या निधि जिसका मुख्य उद्देश्य दैनिक उपयोग में आनेवाले उपकरणों आदि के घिस जाने, पुराने तथा बेकाम हो जाने के कारण उनके मूल्य में क्रमशः होनेवाली घटी-पूरी करना होता है। (डिप्रिशियेशन फंड)। |
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मूल्यन :
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पुं० [सं०√मूल्य+णिच्+ल्युट-अन] किसी वस्तु का मूल्य या निश्चित या स्थिर करना। दाम आँकना। मूल्यांकन। (वैल्युएशन)। |
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मूल्यवान् (वत्) :
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वि० [सं० मूल्य+मतुप्] १. जिसका मूल्य अत्यधिक हो। बहुमूल्य। २. जिसका महत्व य मान किसी की दृष्टि में बहुत अधिक हो। |
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मूल्यांकन :
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पुं० [सं० मूल्य-अंकन, ष० त०] १. किसी बात या वस्तु का मूल्य निर्धारित या निश्चित करने की क्रिया या भाव। (वैल्युएशन) २. किसी वस्तु की उपयोगिता, गुण, महत्त्व आदि का होनेवाला अंकन। कूत। |
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मूल्यानुसार :
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अव्य० [सं० मूल्य-अनुसार, ष० त०] दे० ‘यथा-मूल्य’। |
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