शब्द का अर्थ
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मृज :
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पुं० [सं०√मृज् (शुद्ध करना)+क] पखावज या मृदंग नाम का बाजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मृजा :
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स्त्री० [सं०√मृज्+अङ्, +टाप्] मार्जन। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मृजाद :
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स्त्री०=मर्यादा। उदाहरण—तजि, ऐश्वर्य, मृजाद बेद की तिनके हाथ बिकानो।—भगवत रसिक। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मृज्य :
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वि० [सं०√मृज्+क्यप्] जिसका मार्जन किया जा सके या किया जाने को हो। मार्जनीय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |