शब्द का अर्थ
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मौज :
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स्त्री० [अ०] १. पानी की लहर। तरंग। हिलोर। क्रि० प्र०—आना।—उठना। मुहावरा—मौज खाना=लहर मारना। हिलोरा लेना। (लश०) मौज मारना=जलाशय या नदी आदि में जोरों की लहरें उठना। २. मन में उठनेवाली कोई उमंग। लहर। क्रि० प्र०—आना।—उठना। मुहावरा—किसी की मौज पाना=किसी को अपने अनुकूल या प्रवृत्त देखना। किसी को मौज आना या किसी को मौज में आना=अचानक किसी काम की उमंग होना। धुन होना। ३. मन में उमंग में आकर दिया जानेवाला पुरस्कार या विभूति उदाहरण—जांचि निराखर हूँ, भले लै लाखन को मौज।—बिहारी। ४. मन का आनन्द। मजा। सुख। क्रि० प्र०—करना।—उड़ाना।—मारना।—मिलना।—लेना। |
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समानार्थी शब्द-
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मौज-पानी :
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पुं० [हिं०] १. बहुत सुखपूर्वक और निश्चित होकर किया जानेवाला खान-पान। २. मजा। |
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मौज़ा :
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पुं० [अ० मौजअ] १. गाँव। ग्राम। २. स्थान। पुं० दे० ‘मोजा’। |
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मौजी :
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वि० [फा० मौज+हिं० ई (प्रत्यय)] १. अपने मन की मौज के अनुसार मनमाना काम करनेवाला। जब जो जी में आवे तब वही करनेवाला। २. अच्छी तरह आनन्द या सुख भोगनेवाला। मौज लेनेवाला। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौज़ूँ :
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वि० [अ०] [भाव० मौजूँ, नियत] १. वजन किया हुआ। तुला या तौला हुआ। २. जो किसी स्थान पर ठीक बैठता या मालूम होता हो। २. जो किसी स्थान पर ठीक बैठता हो। उपयुक्त। ३. (छन्द या पद) जो काव्य के नियमों, विषय आदि की दृष्टि से उपयुक्त या ठीक हो। अव्य० ठीक-ठीक। पुं० वर्णन विचार आदि का विषय। |
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मौजूद :
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वि० [अ०] [भाव० मौजदूगी] १. उपस्थित। हाजिर। २. प्रस्तुत। ३. जीवित। विद्यमान। |
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मौजूदगी :
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स्त्री० [फा०] मौजूद होने की अवस्था या भाव। |
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मौजूदा :
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वि० [अ, ०मौजूद] १. वर्तमान काल का। जो इस समय मौजूद हो। २. आधुनिक। प्राचीन का विरुद्धार्थक। ३. जो सामने उपस्थित या प्रस्तुत हो। विद्यमान। |
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मौजूदात :
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स्त्री० [अ०] चराचर जगत्। सृष्टि। |
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मौजूनियत :
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स्त्री० [अ०] मौजूँ होने की अवस्था या भाव। उपयुक्ता। |
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