रमण/raman

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रमण  : पुं० [सं०√रम्+—ल्युट् अन] १. मन प्रसन्न करनेवाली क्रिया। क्रीड़ा। विलास। २. स्त्री-प्रसंग। मैथुन। संभोग। ३. घूमना-फिरना या टहलना। विहार। ४. [√रम्+णिच्+ल्यु—अन] स्त्री का पति जो उसके साथ भोग-विलास करता है। ५. कामदेव। ६. गधा। ७. अंडकोश। ८. सूर्य का अरुण नामक सारथि। ९. एक प्राचीन वन। १॰. एक प्रकार का वर्णिक छन्द। वि० १. रमने या विहार करनेवाला। २. रमण के योग्य। ३. आनन्द या सुख देनेवाला। ४. प्रिय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
रमण-गमना  : स्त्री० [सं० ब० स० टाप्] साहित्य में एक प्रकार की नायिका जो यह समझकर दुःखी होता है कि संकेत स्थान पर नायक आया होगा और मैं वहाँ उपस्थित न थी।
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रमणक  : पुं० [सं०√रमण+कन्] पुराणानुसार जंबूद्वीप के अंतर्गत एक वर्ष या खंड। इसे रम्यक भी कहते हैं।
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रमणी  : स्त्री० [सं० रमण+ङीष्] १. रमण करने योग्य युवती और सुन्दर स्त्री। २. औरत। नारी। स्त्री। ३. संगीत में कर्णाटकी पद्धति की एक रागिनी। ४. सुगन्धबाला।
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रमणीक  : वि० [सं० रमणीय] जिसमें मन रमण करता हो या कर सकें, अर्थात् सुन्दर। मनोहर।
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रमणीय  : वि० [सं√रम्+अनीयर] जिसमें मन रमण करे या कर सके। अर्थात् सुन्दर। मनोहर।
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रमणीयता  : स्त्री० [सं० रमणीय+तल्+टाप्] १. रमणीय होने की अवस्था, धर्म या भाव। २. सुन्दरता। ३. साहित्य-दर्पण के अनुसार साहित्यिक कृति या रचना का वह माधुर्य जो सब अवस्थाओं में बना रहे या क्षण-क्षण में नवीन रूप धारण किया करे।
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