वर्णन/varnan

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वर्णन  : पुं० [सं०√वर्ण (वर्णन करना, रँगना आदि)+णिच्+ल्युट-अन] १. वर्णों अर्थात् रंगों का प्रयोग करना। रँगना। २. किसी विशिष्ट अनुभूति, घटना, दृश्य, वस्तु, व्यक्ति आदि के संबंध में होनेवाला विस्तारपूर्ण कथन जो उसका ठीक-ठीक बोध दूसरों को कराने के लिए किया जाता है। ३. गुण-कथन। प्रशंसा। स्तुति।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
वर्णना  : स्त्री० [सं०√वर्ण+णिच्+युच्-अन, टाप्] १. वर्णन। २. गुण-कीर्तन।
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वर्णनातीत  : वि० [सं० वर्णन+अतीति, द्वि० त०] जिसका वर्णन करना असंभव हो।
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वर्णनात्मक  : वि० [सं० वर्णन-आत्मन्, ब० स० कप्] (कथन लेख आदि) जिसमें किसी अनुभव, अनुभूति दृश्य आदि का वर्णन हो या किया जाय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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