शब्द का अर्थ
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वाम :
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वि० [सं० वा+मन्] १. शरीर के उस पक्ष में या उसकी ओर होने वाला जो दूसरे पक्ष की अपेक्षा साधारण प्राणियों में कमजोर या दुर्बल होता है। बायाँ। २. ‘दक्षिण’ का ‘दाहिना’ का विपर्याय। ३ प्रतिकूल। विरुद्ध। ३. कुटिल। टेढ़ा। ४. दुष्ट। बुरा। पुं० १. कामदेव। २. वरुण। ३. धन-संपत्ति। ४. कुच। स्तन। ५. चन्द्रमा के रथ का एक घोड़ा ६. सवैया छंद का आठवाँ भेद, जिसके प्रत्येक चरण में सात जगण, और एक यगण होते हैं। इसे मंजरी, मकरंद और माधवी भी कहते हैं। ७. वामदेव। |
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वाम-कक्ष :
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पुं० [सं०ब०स०] एक गोत्रकार ऋषि जिनके गोत्र के लोग वामकक्षायन कहलाते हैं। |
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वाम-मार्ग :
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पुं० [सं०] तांत्रिक साधना में एक पद्धति जिसमें मृत प्राणियों के दाँतों की माला, पहनते, कपाल या खोपड़ी का पात्र रखते, छोटी कच्ची मछलियाँ और माँस खाते तथा सजातीय पर-स्त्रियों से समान रूप से मैथुन करते हैं। |
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वाम-मार्गी :
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वि० [सं०] वाम-मार्ग सम्बन्धी। वाम-मार्ग का। पुं० वह जो वाम-मार्ग का अनुयायी हो। |
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वाम-शील :
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वि० [सं०] [सं० वामशीला] प्रायः या सदा वाम अर्थात् प्रतिकूल या विरुद्ध रहनेवाला। |
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वामक :
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पुं० [सं० वाम+कन्] १. एक प्रकार की अंग-भंगी। २. बौद्धों के अनुसार एक चक्रवर्ती। |
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वामता :
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स्त्री० [सं०] १. वाम होने की अवस्था या भाव। २. प्रतिकूलता। विरुद्धता। |
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वामदेव :
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पुं० [सं०] १. शिव। महादेव। २. एक वैदिक ऋषि। |
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वामदेवी :
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स्त्री० [सं०] १. दुर्गा। २. सावित्री। |
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वामन :
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वि० [सं०] [स्त्री० वामनी] १. छोटे कद या डील का। ठिंगना। २. नाटा। बौना। खर्च। ३. ह्रस्व। पुं० १. विष्णु। २. विष्णु का पाँचवाँ अवतार जो अदिति के गर्भ से हुआ था, और जिसमें उन्होंने बौने का रूप धारण करके राजा बलि को छलकर उससे सारी पृथ्वी दान रूप में ले ली थी। ३. अठारह पुराणों में से एक। ४. शिव। ५. एक दिग्गज का नाम। ६. छोटे डील का या बौना घोड़ा। |
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वामन-द्वादशी :
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स्त्री० [सं० ष० त] भाद्रपद शुक्ला द्वादशी जिस दिन व्रत करके वामन अवतार की पूजा करने का विधान है। |
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वामनिका :
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स्त्री० [सं० वामन+कन्+टाप्+इत्व] स्कंद की अनुचरी एक मातृका। २. बौनी या ठिंगनी स्त्री। |
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वामनी :
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स्त्री० [सं० वामन+ङीष्] एक प्रकार का योनि रोग। |
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वामलूर :
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पुं० [सं० वाम√लू (काटना)+रक्] दीमक का भीटा। वल्मीक बाँबी। |
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वामलोचना :
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स्त्री० [सं०] सुन्दरी स्त्री। |
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वामा :
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स्त्री० [सं०√वम् (निकालना)+अण्+टाप्, अथवा वाम+अ+च्+टाप्] १. स्त्री० २. दुर्गा। ३. पार्श्वनाथ की माता। ४. दस अक्षरों के एक वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में तगण, यगण और भगण तथा अंत में एक गुरु होता है। |
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वामाक्षी :
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स्त्री० [सं० ब० स०] १. सुंदरी स्त्री। २. दीर्घ ‘ई’ स्वर या उसकी मात्रा। |
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वामांगिनी :
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स्त्री० [सं०] विवाहिता पत्नी। |
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वामांगी :
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स्त्री० [सं०]=वामांगिनी। |
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वामाचारी (रिन्) :
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पुं० [सं० वामाचार+इनि]=वाममार्गी। |
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वामाँदा :
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वि० [फा०] [भाव० वामाँदगी] १. पीछे छूटा हुआ। २. थक जाने के कारण रास्ते में पीछे छूटा हुआ। ३. बाकी बचा हुआ। ४. लाचार। विवश। |
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वामावर्त :
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वि० [सं० वाम-आ√वृत्+अच्] १. (पदार्थ) जिसका मुँह बाई ओर घूमा हुआ हो। जैसे–वामावर्त शंख। २. (क्रिया) जिसका आरंभ बाई ओर से हो। जैसे–वामावर्त प्रदक्षिणा। ‘दक्षिणा-वर्त’ का विपर्याय। |
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वामिका :
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स्त्री० [सं० वाम+कन्+टाप्+इत्व] चंडिका देवी। |
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वामी :
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स्त्री० [सं० वाम+ङीष्] १. श्रृंगाली। गीदड़ी। २. घोड़ी। ३. हथनी। ४. गधी। |
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वामेक्षणा :
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स्त्री० [सं० ब० स०] सुंदर नेत्रोंवाली स्त्री। |
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वामोरु :
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स्त्री० [सं० ब० स०] सुंदर स्त्री। |
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वाम्नी :
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स्त्री० [सं०] एक गोत्रकार विदुषी जिसके गोत्रवाले वाम्नेय कहलाते थे। |
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