शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					वारु					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√वृ (मना करना)+णिच्+उण्] वह हाथी जिस पर विजय पताका चलती है। विजय-हस्ति।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुठ					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० वारु+ठन्] १. मृत्यु-शय्या। २. शव ले जाने की अरथी। टिकठी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुंड					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√वृ+उण्ड] १. साँपों का राजा। २. नाव में भरा हुआ पानी बाहर फेंकने का तसला। ३. कान की मैल। खूँट। ४. आँख में निकलनेवाला कीचड़ या मल।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० वरुण+अण्] १. जल-पानी। २. शतभिषा नक्षत्र। ३. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। ४. हरताल। ५. एक उप-पुराण। ६. वरुण या बरुना नामक वृक्ष। वि० १. वरुण संबंधी। २. जलीय। ३. पश्चिमी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुण-कर्म					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] कूआँ तालाब, नहर आदि बनाने का काम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुणक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० वारुण+कन्] एक प्राचीन जनपद।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुणि					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० वरुण+इञ्] १. अगस्त्य मुनि। २. वसिष्ठ। ३. भृगु ऋषि। ४. दाँतवाला हाथी। ५. वारुण या बरुना नामक पेड़। ६. वारुणाक जनपद।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुणी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० वरुण+अण्+ङीष्] १. वरुण की पत्नी, वरुणानी। २. वृन्दावन के एक कदंब का रस जो वरुण की कृपा से बलराम जी के लिए निकला था। ३. कदंब के फलों से बनाई जानेवाली मदिरा। ४. मदिरा। शराब। ५. उपनिषदविद्या जिसका उपेदश वरुण ने किया था। ६. पश्चिम दिशा। ७. शतभिषा नक्षत्र। ८. एक प्राचीन नदी (कदाचित् आधुनिक वरुणा)। ९. इन्द्रवारुणी लता। १॰. घोड़े की एक प्रकार की चाल। ११. मादा हाथी। हथनी। १२. भुई आँवला। १३. गाँडर दूब। १४. गंगास्नान का एक पुण्य पर्व या योग जो चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र पड़ने पर होता है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुणी वल्लभा					 :
				 | 
				
					पुं० [ष० त०] समुद्र।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुणीश					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] विष्णु।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुण्य					 :
				 | 
				
					वि० [सं० वरुण+ण्य, अथवा वारुणी+यत्] वरुण-संबंधी। वारुण।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					वारुद					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० वारु√दा (देना)+क] अग्नि। आग।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |