वृष्टि/vrshti

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वृष्टि  : स्त्री० [सं०√वृष्+क्तिन्] १. आकाश से जल की वर्षा होने की अवस्था या भाव। पानी बरसना। २. वर्षा का जल। ३. वर्षा की तरह बहुत सी छोटी छोटी चीजें ऊपर से गिरने की क्रिया या भाव। जैसे—सुमन वृष्टि। ४. किसी क्रिया का कुछ समय तक लगातार होना। जैसे—कुवाच्यों की वृष्टि।
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वृष्टि-जीवन  : वि० [सं०] जिसका जीवन वर्षा पर निर्भर हो। पुं० १. चातक। २. ऐसा प्रदेश या क्षेत्र जिसकी फसल बहुत कुछ वर्षा पर ही आश्रित हो।
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वृष्टि-वैकृत  : पुं० [सं० ष० त०] बृहत्संहिता के अनुसार बहुत अधिक वृष्टि होने या बिलकुल वृष्टि न होना, जो उपद्रव, संकट आदि का सूचक माना जाता है। ऐसी विकृत या खराबी जो वर्षा की अधिकता अथवा कमी के फलस्वरूप उत्पन्न हुई हो।
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वृष्टिमान  : पुं० [सं०] वृष्टि-मापक।
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वृष्टिमापक  : पुं० [सं०] नल के आकार का एक प्रकार का यंत्र जिसके द्वारा यह जाना जाता है कि कितनी मात्रा में वृष्टि हुई।
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