व्यंसन/vyansan

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व्यसन  : पुं० [सं० वि√अस् (होना)+ल्युट-अन] १. विपत्ति। आफत। संकट। २. कष्ट। तकलीफ। दुःख। ३. पतन। ४. विनाश। ५. अमांगलिक या अशुभ बात। ६. ऐसा कार्य या प्रयत्न जिसका कोई फल न हो। निरर्थक काम या बात। ७. किसी काम या बात के समय होनेवाली ऐसी तीव्र प्रवृत्ति या रुचि जिसके फलस्वरूप मनुष्य प्रायः सदा उसी काम में लगा रहता हो। जैसे—लिखने-पढऩे का व्यसन। ८. भोगविलास या विषय-वासना के संबंध में दूषित मनोविकारों के कारण होनेवाली ऐसी आसक्ति जिसके बिना रहना कठिन हो या जिससे जल्दी छुटकारा न हो सकता हो। बुरी आदत या लत। जैसे—जुए, मद्यपान या वेश्यागमन का दुर्व्यसन। ९. अशक्तता या असमर्थता। १॰. दुर्भाग्य।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
व्यसनार्त  : वि० [सं० तृ० त०] जिसे किसी प्रकार का दैवी या मानवी कष्ट पहुँचा हो।
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व्यसनिता  : स्त्री० [सं० व्यसनिन्+तल्+टाप्] १. व्यसनी होने की अवस्था या भाव। २. व्यसन।
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व्यसनी (निन्)  : वि० [सं० व्यसन+इनि] जिसे किसी बुरी काम की लत पड़ गई हो।
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व्यसनोत्सव  : पुं० [सं० ष० त०] वाम-मार्गियों का बहुत से लोगों को मिला कर मद्यपान करना।
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