शब्द का अर्थ
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					व्याल					 :
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					पुं० [सं० वि+आ√अल्+अच्] १. साँप। २. चीता। बाघ। शेर या ऐसा ही और कोई हिंसक जंतु। ३. वह सिखाया हुआ चीता जिसकी सहायता से दूसरे पशुओं का शिकार किया जाता है। ४. दुष्ट हाथी। ५. राजा। ६. विष्णु। ७. एक प्रकार का दंडक छंद। वि० १. दुष्ट। पाजी। २. अपकार करनेवाला।				 | 
			
			
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					व्याल-मृग					 :
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					पुं० [सं०] बाघ। शेर।				 | 
			
			
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					व्यालक					 :
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					पुं० [सं० व्याल+कन्] १. दुष्ट या पाजी हाथी। २. हिंसक जन्तु।				 | 
			
			
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					व्यालग्राही (हिन्)					 :
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					पुं० [सं०] सँपेरा।				 | 
			
			
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					व्यालग्रीव					 :
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					पुं० [सं०] १. बृहत्संहिता के अनुसार एक देश का नाम। २. उक्त देश का निवासी।				 | 
			
			
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					व्यालता					 :
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					स्त्री० [सं० व्याल+तल्+टाप्] व्याल का धर्म या भाव।				 | 
			
			
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					व्यालि					 :
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					पुं० [सं० वि+आ√अड् (उद्यम करना)+इण्, ड-ल] व्यालि नामक प्राचीन ऋषि और वैयाकरण।				 | 
			
			
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					व्यालिक					 :
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					पुं० [सं० व्याल+ठन्-इक] सँपेरा।				 | 
			
			
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					व्याली					 :
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					पुं० [सं० व्याल+इनि] शिव।				 | 
			
			
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					व्यालीढ़					 :
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					पुं० [सं० वि+आ√लिह् (आस्वाद लेना)+क्त] साँप का ऐसा दंश जिसमें केवल एक या दो दाँत कुछ-कुछ लगे हों और घाव में से खून न बहा हो।				 | 
			
			
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					व्यालुप्त					 :
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					पुं० [सं० वि+आ√लुप् (जुदा करना)] साँप का ऐसा दंश जिसमें दो दांत भरपूर बैठे हों और घाव में से खून भी निकला हो।				 | 
			
			
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					व्यालू					 :
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					पुं०=ब्यालू।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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