शब्द का अर्थ
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शोभा :
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स्त्री० [सं० शुभ+अ—टाप्] १. कांति। चमक। २. ऐसी सुन्दरता या सौन्दर्य जिसका देखने वाले पर विशेष प्रभाव पड़ता हो। जैसे—पर्वतमालाओं की शोभा। ३. वह तत्त्व या बात जिससे किसी का सौन्दर्य बढ़ता हो। ४. अच्छा गुण। ५. रंग। वर्ण। ६. हल्दी। ७. बीस अक्षरों का एक वर्णवृत्त जिसमें यगण मगण, दो नगण दो तगण और दो गुरु होते हैं तथा छः और सात पर यदि होती है। ८. फारसी संगीत से गृहीत कुछ विशिष्ट गायन-तत्त्व जिसकी संख्या २४ कही जाती है। ९. दलाली के रूप में मिलनेवाला धन। दलाली की रकम। (दलाल) १॰. गोरोचन। |
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समानार्थी शब्द-
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शोभा-यात्रा :
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स्त्री० [सं०] १. जलूस। २. बरात। (बँगला से गृहीत) |
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शोभांजन :
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पुं० [सं० ब० स०] सहिंजन (पेड़)। |
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शोभानक :
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पुं० [सं०] शोभांजन। सहिंजन। |
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शोभान्वित :
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वि० [सं० तृ० त० स०] शोभा से युक्त। |
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शोभायमान :
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वि० [सं०] शोभा देता हुआ। सुन्दर। |
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