शब्द का अर्थ
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					संका					 :
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					स्त्री०=शंका।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					संकाना					 :
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					अ० [सं० शंका] १. शंकित होना। २. भयभीत होना। डरना। स० १. शकित करना। भयभीत करना। २. डराना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					संकाय					 :
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					स्त्री० [सं०] उच्च कोटि के अध्ययन के लिए ज्ञान-विज्ञान आदि का कोई विशिष्ट विभाग या शाखा (फैकल्टी)।				 | 
			
			
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					संकायाध्यक्ष					 :
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					पुं० [सं०] आज-कल विश्वविद्यालयों में किसी संकाय का प्रधान अधिकारी (डीग ऑफ़ फ़ैकल्टी)।				 | 
			
			
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					संकार					 :
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					पुं० [सं० सम√ कृ (करना)+घञ्] १. कूड़ा-करकट। २. वह धूल जो झाड़ू से उड़े। ३. आग के जलने का शब्द। स्त्री० [हिं० सँकारना] १. सँकारने की क्रिया या भाव। २. इशारा संकेत।				 | 
			
			
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					सँकारना					 :
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					स० [हिं० संकार+ना (प्रत्यय)] संकेत करना। इशारा करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सँकारा					 :
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					पुं०=सकारा (प्रातःकाल)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					संकाश					 :
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					वि० [सं० सम√ काश् (प्रकाश करना)+अच्] समस्त पदों के अंत में सदृश्य या समान। जैसा—अग्निसंकाय। पुं० १. प्रकाश। रोशनी। २. चमक। दीप्ति। अव्य० १. सदृश। समान। २. पास। समीप।				 | 
			
			
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					संकास					 :
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					वि० पुं० अव्य०=संकाश।				 | 
			
			
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