संकीर्ण/sankeern

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संकीर्ण  : वि० [सं० सम√ कृ+क्त] [भाव० संकीर्णता] १. जो अधिक चौड़ा या विस्तृत न हो। संकुचित। सँकरा। २. किसी के साथ मिला हुआ। मिश्रित। ३. छोटा। ४. तुच्छ। ५. नीच। ६. वर्ण-संकर। ७. लाक्षणिक अर्थ में जो उदार न हो। जिसमें व्यापकता न हो। जैसा—संकीरण विचारधारा। पुं० १. ऐसा राग या रागिनी जो दो अन्य रागों या रागिनियों के मेल से बना हो। २. विपत्ति। संकट। ३. साहित्य में एक प्रकार का गद्य जिसमें कुछ अवृत्तगंधि का मेल होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संकीर्णता  : स्त्री० [सं० संकीर्ण+टल्-टाप्] १. संकीर्ण होने की अवस्था या भाव। २. नीचता। ३. ओछापन। क्षुद्रता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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