शब्द का अर्थ
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संध्या :
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स्त्री० [सं०] १. दिन और रात दोनों के मिलन का समय। संधि-काल। २. वह समय जब दिन का अंत और रात का आरंभ होता है। सूर्यास्त से कुछ पहले का समय। सायंकाल। शाम। मुहा०—संध्या फूलना=दिन ढलने पर धीरे-धीरे संध्या का सुहावना समय आना। ३. भारतीय आर्यों की एक प्रसिद्ध उपासना जो सवेरे, दोपहर और संध्या को होती है।। ४. एक युग की समाप्ति और दूसरे युग के बीच का समय। दो युगों के मिलने का समय। युग-संधि। ५. सीमा। हद। ६. एक प्राचीन नदी। ७. एक प्रकार का फूल और उसका पौधा। ८. दे० ‘संधा भाषा’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संध्या-भाषा :
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स्त्री० दे० ‘संधा भाषा’। |
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संध्याचल :
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पुं० [सं० ष० त०]=अस्ताचल। |
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संध्याबल :
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पुं० [सं०] निशाचर। निश्चर। |
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संध्याराग :
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पुं० [सं०] १. संगीत में, श्याम कल्याण राग। २. सिंदूर। |
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संध्यालोक :
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पुं० [सं०] सांध्य प्रकाश। |
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संध्यावधू :
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स्त्री० [सं० ष० त०] रात्रि। रात। निशि। |
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संध्यांश :
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पुं० [सं०] दो युगों के बीच का समय। युग-संधि। |
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संध्यासन :
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पुं० [सं०] आपस में लड़कर शत्रुओं का कमजोर हो जाना (कामदंक)। |
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