शब्द का अर्थ
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					संभूय					 :
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					अव्य० [सं०] १. एक में। एक साथ। २. साझे में।				 | 
			
			
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					संभूय-क्रय					 :
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					पुं० [सं०] थोक माल बेचना या खरीदना (कौ०)।				 | 
			
			
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					संभूय-गमन					 :
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					पुं० [सं०] शत्रु पर होने वाली ऐसी चढाई जिसमें सब सामंत भी अपने दलबल के साथ हों (कामंदक)।				 | 
			
			
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					संभूय-समुत्थान					 :
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					पुं० [सं०] कई हिस्से दारों के साथ मिलकर किया जाने वाला व्यापार। साझे का कारबार।				 | 
			
			
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					संभूयकारी					 :
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					पुं० [सं०] १. प्राचीन भारत में, किसी संघ में मिलकर व्यापार करने वाला व्यापारी जो उस संघ का हिस्सेदार होता था। (स्मृति) २. किसी के साथ-साथ काम करनेवाला।				 | 
			
			
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