शब्द का अर्थ
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					सका					 :
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					पुं०=सक्का।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सकाकुल					 :
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					पुं० [सं० शकाकुल] १. एक प्रकार का कंद जिसे अंबर कंद कहते हैं। २. एक प्रकार का शतावर। ३. सुधा-मूली।				 | 
			
			
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					सकाकोल					 :
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					सं० [अव्य० स०] मनु के अनुसार एक नरक का नाम।				 | 
			
			
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					सकाना					 :
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					अ० [सं० शंका, हिं० सकना] १. मन में संका या संदेह करना। २. संशंकित होकर पीछे हटना। आगे बढ़ने से हिचकिचाना। उदा०—क्षत्रिय तनु धरि समर सकाना।—तुलसी। ३. भयभीत होना। डरना। उदा०—सोच कबै सकाई कहा करिहै कमलासन।—रत्नाकर। ४. मन में दुःखी होना। उदा०—सुनि मुनिवर क् पुरुष वचन, कछु भूप सकाए। रत्नाकर। स० हिं० ‘सकना’ का सकर्मक और प्ररणार्थक रूप। जैसे—सके तो सकाओ, नहीं तो छोड़ दो। (परिहास)				 | 
			
			
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					सकाम					 :
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					वि० [सं० अव्य० स०] जिसके मन में कोई कामना या इच्छा हो। २. जिसकी कामना या इच्छा पूरी हो गई हो। सफल मनोरथ। ३. मैथुन या संभोग की इच्छा रखने वाला। कामी। ४. प्रेम करने वाला। प्रेमी। ५. स्वार्थ साधन की भावना से काम करने वाला।				 | 
			
			
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					सकाम-निर्जरा					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स०] जैन धर्म में चित्त की वह वृत्ति जिसमें बहुत अधिक छति होने पर भी शत्रु को परम शान्ति पूर्वक क्षमा कर दिया जाता है।				 | 
			
			
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					सकामा					 :
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					स्त्री० [सं० अव्य० स०] ऐसी स्त्री जो मैथुन की इच्छा रखती हो। कामवती स्त्री।				 | 
			
			
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					सकामी (मिन्)					 :
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					वि० [सकाम+इनि] १. जिसे किसी प्रकार की कामना हो। कामनायुक्त। वासनायुक्त। २. कामुक। विषयी।				 | 
			
			
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					सकार					 :
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					पुं० [सं० स+कार] १. ‘स’ अक्षर। २. ‘स’ वर्ण की यी उससे मिलती जुलती ध्वनि। जैसे—उस समय किसी के मुँह से सकार भी न निकाला। स्त्री० [हिं० सकारना] सकार अर्थात स्वीकृत करने की क्रिया या भाव। स्वीकृति। (ऐक्सेप्टेन्स)				 | 
			
			
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					सकारना					 :
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					स० [सं० स्वीकरण] [भाव० सकारा] १. स्वीकृत करना। मंजूर करना। २. महाजनी बोलचाल में हुंडी की मिती पूरी होने के एक दिन पहले हुंडी देखकर उसपर हस्ताक्षर करना। और रुपये चुकाने का उत्तरदायित्व मानना। (आँनरिंग आफ ए ड्राफ्ट)				 | 
			
			
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					सकारा					 :
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					पुं० [हिं० सकारना] १. सकारने की क्रिया या भाव। २. महाजनी लेन-देन में वह धन जो हुंडी सकारने और उसका समय फिर से बढाने में किया जाता है। पुं० [सं० सकाल]=सकाल (सबेरा)।				 | 
			
			
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					सकारात्मक					 :
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					वि० [सं०] १. (उत्तर या कथन) जो सहमति या स्वीकृति का सूचक हो। नकारात्मक के विपरीत। (एफर्मेंटिव) २. जिसका कोई निश्चित मान या स्थिर स्वरूप हो। निश्चयी। (पाजिटिव)				 | 
			
			
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					सकारी					 :
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					पुं० [हिं सकारना] वह जो कोई हुंडी सकारता हो। या जिसके नाम को हुंडी लिखी गई हो। (ड्राई)				 | 
			
			
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					सकारे					 :
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					अव्य० [सं० सकाल] १. प्रातःकाल। सबेरे। तड़के। २. नियत समय से कुछ पहले ही। जल्दी।				 | 
			
			
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					सकालत					 :
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					स्त्री० [अ०] १. सकील या गरिष्ठ होने की अवस्था या भाव। गरिष्ठता। २. गुरुता। भारीपन।				 | 
			
			
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					सकाश					 :
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					अव्य० [सं० अव्य० स०] पास। निकट। समीप।				 | 
			
			
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