शब्द का अर्थ
			 | 
		 
					
				| 
					साधारणीकरण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] [भू० कृ० साधारणीकृत] १. हमारे प्राचीन साहित्य में, रस-निष्पत्ति की वह स्थिति जिसमें दर्शक या पाठक कोई अभिनय देखकर या काव्य पढ़कर उससे तादात्मय स्थापित करता हुआ उसका पूरा-पूरा रसास्वादन करता है। विशेष—यह वही स्थिति है जिसमें दर्शक या पाठकों के मन में ‘मैं’ और ‘पर’ का भाव दूर हो जाता है और वह अभिनय या काव्य के पात्रों या भावों में विलीन होकर उनके साथ एकात्मता स्थापित कर लेता है। २. आज-कल एक ही प्रकार के बहुत से विशिष्ट गुणों, तत्त्वों आदि के आधार पर किसी विषय में कोई ऐसा साधारण नियम या सिद्धांत स्थिर करना जो उन सब गुणों या तत्त्वों पर समान रूप से प्रयुक्त हो सके। ३. किसी सामान्य गुण या धर्म के आधार पर अनेक गुणों, तत्त्वों आदि को एक तल रक एक वर्ग में लाना। गुणों आदि के आधार पर समानता निरूपित करना। (जेनरलाइज़ेशन)				 | 
			 
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
		 |