शब्द का अर्थ
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					सिन					 :
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					पुं० [सं०√षिज् (बाँधना)नक्] १. शरीर। देह। २. पहनने के कपड़े। पोशाक। कौर। ग्रास। ४. कुंभी नामक वृक्ष। वि० १. एक आँखवाला। काना। २. सफेद। पुं० [अ०] अवस्था। उमर।				 | 
			
			
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					सिनक					 :
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					स्त्री० [हिं० सिनकना] १. सिनकने की क्रिया या भाव। २. सिनकने पर निकलने वाला मल। नाक का मल।				 | 
			
			
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					सिनकना					 :
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					स० [सं० शिंघण] अमदर से जोर की वायु निकालते हुए नाक का मल या कफ बाहर करना। जैसा—नाक सिनकना।				 | 
			
			
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					सिनि					 :
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					पुं० [सं० शनि] १. क्षत्रियों की एक प्राचीन शाखा। २. सात्यकि यादव के पिता का नाम।				 | 
			
			
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					सिनी					 :
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					पुं०=शिनि। स्त्री०=सिनीवाली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सिनीत					 :
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					स्त्री० [देश०] सात रस्सियों को बटकर बनाई गई चिपटी रस्सी। (लश्करी)।				 | 
			
			
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					सिनीवाली					 :
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					स्त्री० [सं०] १. एक वैदिक देवी जिसका आह्वान, वैदिक मंत्रों में सरस्वती आदि के साथ होता है। २. दुर्गा। ३. शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा। ४. चाँदनी रात।				 | 
			
			
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					सिनेट					 :
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					स्त्री० [अ०] दे० ‘सीनेट’।				 | 
			
			
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					सिनेटर					 :
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					पुं० दे० ‘सिनेटर’।				 | 
			
			
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					सिनेमा					 :
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					पुं० [अं०] १. चल-चित्र। २. वह भवन जिसमें लोगों को चल-चित्र दिखाये जाते हैं।				 | 
			
			
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					सिन्नी					 :
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					स्त्री० [फा० शीरीन] १. मिठाई। २. मुराद पूरी होने पर अथवा देवता, पीर आदि को प्रसन्न करने के लिये चढ़ाई तथा प्रसाद रूप में बाटी जाने वाली मिठाई। क्रि० प्र०—चढ़ना।—बाँटना।				 | 
			
			
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