शब्द का अर्थ
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					सुतर					 :
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					वि० [सं० ब० स०] जलाशय जो सुख या आराम से तैरकर या नाव आदि से पार किया जा सके। पुं० शुतुर (ऊँट)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सुतर-नाल					 :
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					स्त्री०=शतुरनाल।				 | 
			
			
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					सुतरा					 :
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					अव्य० [सं० सुतराम] १ .अतः। इसलिए। २. और भी। अपितु। कि० बहुना। ३.विवश होकर। लाचारी की हालत में। ४. बहुत अधिक। अत्यन्त। ५. अवश्य। जरूर।				 | 
			
			
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					सुतरा					 :
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					पुं० [हि० शुतुर] सूत की तरह का वह पतला चमड़ा जो प्रायः उँगलियों में नाखन की जड़ के पास उचड़कर निकलते लगता है।				 | 
			
			
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					सुतरी					 :
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					पुं० [फा० शुतुर] ऊँट के से रंगवाला बैल। स्त्री० [?] १.करघे में की वह लकड़ी जो पाई में साँथी अलग करने के लिए साँथी के दोनों तरफ लगी रहती है। २. एक प्रकार की घास जिसे हर-बाल भी कहते हैं। स्त्री० १.=सुतारी। २. =सुतली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सुतर्द्दन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] कोकिल पक्षी। कोयल।				 | 
			
			
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