सुरभि-भक्षण/surabhi-bhakshan

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सुरभि-भक्षण  : पुं० [सं०] हठ योग की एक क्रिया जिसमें साधक खेचरी मुद्रा के द्वारा अपनी जीभ उलट कर तालू के मूल वाले छेद में लगाता और सहस्त्रार में स्थित चन्द्रमा से निकलने वाला अमृत पीता है। इसे गोमांस-भक्षण भी कहते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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