शब्द का अर्थ
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					सेतु					 :
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					पुं० [सं०] १. बाँधने की क्रिया या भाव। बन्धन। २. नदी आदि पार करने के लिए बनाया हुआ रास्ता। पुल। ३. दूर रहनेवाली दो चीजों को आपस में मिलानेवाला अंग या रचना। (ब्रिज)। ४. पानी की रुकावट के लिए बँधा हुआ बाँध। ५. खेत की मेड़। ६. सीमा। हद। उदा०–राखहिं निज श्रुति सेतु।–तुलसी। ७. सीमा की सूचक किसी प्रकार की रचना । जैसे–डाँड़, मेड़ आदि। ८. ओंकार या प्रणव की एक संज्ञा। ९. ग्रन्थ की टीका या व्याख्या। १॰. वरुण वृक्ष। बरना। वि० =श्वेत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सेतु-कर					 :
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					पुं० [सं०] सेतु या पुल बनानेवाला।				 | 
			
			
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					सेतु-कर्म (न्)					 :
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					पुं० [सं०] सेतु या पुल बनाने का काम।				 | 
			
			
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					सेतु-दुति					 :
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					पुं० [सं० श्वेतद्युति] चन्द्रमा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सेतु-पथ्य					 :
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					पुं० [सं०] दुर्गम स्थानों में जानेवाली सड़क। ऊँची—नीची पहाड़ी घाटियों में जानेवाली सड़क। (कौ०)				 | 
			
			
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					सेतुक					 :
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					पुं० [सं०] १. पुल। २. जलाशय का धुस्स। बाँध। ३. वरुण नामक वृक्ष। बरना।				 | 
			
			
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					सेतुज					 :
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					पुं० [सं०] दक्षिणापथ के एक स्थान का नाम।				 | 
			
			
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					सेतुपति					 :
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					पुं० [सं०] दक्षिण भारत के पुराने रामनद राज्य के राजाओं की वंश परम्परागत उपाधि।				 | 
			
			
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					सेतुप्रद					 :
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					पुं० [सं०] कृष्ण का एक नाम।				 | 
			
			
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					सेतुबंध					 :
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					पुं० [सं०] १. पुल बनाने या बाँधने की क्रिया। २. नहर। ३. वह पथरीला मार्ग जो रामेश्वरम् से कुछ दूर आगे लंका की ओर समुद्र में बना हुआ है। प्रवाद है कि इसे नील और उनके साथियों ने श्रीरामचन्द्र जी के लंका पर चढ़ाई करने के समय बनाया था।				 | 
			
			
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					सेतुबंध रामेश्वर					 :
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					पुं० [सं०] भारत की दक्षिणी सीमा का वह स्थान जहा लंका पर चढ़ाई करने के लिए रामचन्द्र ने पुल बनाया और शिवलिंग स्थापित किया था।				 | 
			
			
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					सेतुवा					 :
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					पुं० =सूस।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० =सेहुँवा (चर्म रोग)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सेतुशैल					 :
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					पुं० [सं०] दो देशो के बीच का सीमा—सूचक पर्वत। सरहद का पहाड़।				 | 
			
			
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