शब्द का अर्थ
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					सेल					 :
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					पुं० [सं० शल, प्रा० सेल] बरछा। भाला। साँग। पुं० [सं० सिलना=एक पौधा जिसके रेशों से रस्से बनते थे] १. एक प्रकार का सन का रस्सा, जो पहाड़ों में पुल बनाने के काम में आता है। २. हल में लगी हुई वह नली, जिसमें से होकर कूंड में भरे हुए बीज जमीन पर गिरते हैं। पुं० [?] नाव से पानी उलोचने का काट का बरतन। स्त्री० [?] १. गले में पहनने की माला। २. एक प्रकार की समुद्री मछली, जिसके ऊपरी जबड़े बहुत तेज धार वाले होते हैं। पुं० [सं० शेल] तोप का वह गोला, जिसमें गोलियाँ आदि भरी रहती हैं। (फौजी)। पुं० [अं०] बिक्री। विक्रय। पद–सेल टैक्स=बिक्री—कर।				 | 
			
			
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					सेलखड़ी					 :
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					स्त्री० =सिलखड़ी (खड़िया)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सेलग					 :
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					पुं० [सं०] लुटेरा। डाकू।				 | 
			
			
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					सेलना					 :
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					अ० [प्रा० सेल=जाना] मर खाना। चल बसना।				 | 
			
			
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					सेला					 :
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					पुं० [सं० शल्लक, शल्क=छिलका; मछली का सेहरा] १. रेशमा चादक या दुपट्टा। २. एक प्रकार का रेशमी साफ़ा। पुं० [सं० शालि] भुँजिया चावल।				 | 
			
			
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					सेलार					 :
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					पुं०=सेलिया (घोड़ा)।				 | 
			
			
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					सेलिया					 :
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					पुं० [सं० सेराह] सफेद घोड़ा। सेराह।				 | 
			
			
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					सेली					 :
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					स्त्री० [हिं० सेल] बरछी। स्त्री० [हिं० सेला] १. छोटा दुपट्टा। २. गाँती। ३. गोरखपंथियों में वे ऊँनी धागे, जिनमें गले में पहनने की सोंग की सीटी (नाद या श्रृंगीनाद) बँधी रहती है। ४. ऊन, रेशम या सूत की वह माला जो योगी लोग गले में पहनते या सिर पर लपेटते हैं। ५. गलें में पहनने का एक प्रकार का गहना। स्त्री० [सं० शल्क=मछली का सेहरा] एक प्रकार की मछली। स्त्री० [देश०] दक्षिण भारत में होनेवाला एक प्रकार का पेड़, जिसकी लकड़ी से खेती के औजार बनाये हैं।				 | 
			
			
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					सेलून					 :
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					पुं० [सं०] १. उत्सवों आदि के लिए सजाया हुआ बड़ा कमरा। २. जहाजों में ऊँचे के यात्रियों के रहने का कमरा। ३. विशिष्ट प्रतिष्टित यात्रियों के लिए बना हुआ रेल का बढ़िया डिब्बा। ४. आमोद—प्रमोद, क्षौरकर्म, मद्यपान आदि के लिए बना हुआ बढ़िआ और सजाया हुआ कमरा।				 | 
			
			
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					सेलो					 :
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					पुं० [देश०] खेती की ऐसी जमीन जिस पर वृक्ष आदि की छाया पड़ती हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सेल्ला					 :
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					पुं०=सेल (भाला)।				 | 
			
			
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					सेल्ह					 :
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					पुं०=सेल (भाला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सेल्हा					 :
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					पुं० [स० शाल] एक प्रकार की अगहनी धान जिसका चावल बहुत दिनों तक रह सकता है। पुं० [स्त्री० अल्का० सेल्ही]=सेला (भाला)।				 | 
			
			
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