शब्द का अर्थ
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सै :
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स्त्री० [सं० सत्त्व] १. तत्त्व। सार। २. बल—वीर्य। ओज। शक्ति। ३. प्राप्ति। लाभ। ४. वृद्धि। बढ़ती। वि० [सं० शत] सौ। |
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समानार्थी शब्द-
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सैकंट :
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पुं० [सं० शतकंटक] बबूल की जाति का एक पोड़ जिसकी छाल सफेद होती है। धौला। खैर। कुमतिया। |
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सैकड़ा :
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पुं० [सं० शतकाण्ड, प्रा० सयकंड] सौ का समूह या समष्टि। जैसे–चार सैकड़े आम। |
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सैकड़े :
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अव्य० [हिं० सैकड़ा] प्रति सौ के हिसाब से। प्रतिशत। फीसदी। जैसै–ब्याज की दर २) सैकड़े है। वि० सैकड़े के रूप में होनेवाला। जैसे–दो सैकड़े आम खरीदे जायँगे। |
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सैकड़ों :
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वि० [हिं० सैकड़ा] १. कई सौ। २. बहुत अधिक। |
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सैकत :
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वि० [सं०] [स्त्री० सैकती] १. सिकता या रेत से संबेध रखने वाला। २. रेतीला। बलुआ। बालुकामय। ३. बालू से बना हुआ। पुं० १. नदी आदि का रेतीला तट। रेती। २. केतीली जमीन या मिट्टी। |
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सैकतिक :
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पुं० [सं०] १. साधु। संन्यासी। श्रपणक २. कलाई, गले आदि में बाँधा जाने वाला गंड़ा। मंगलसूत्र। वि० १. सिकता या रेत से संबंध रखनेवाला। २. मरीचिका या संदेह में पड़ा रहने वाला। |
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सैकती (तिन्) :
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वि० [सं०] सिकता—युक्त। रेतीला बलुआ। (तट या भूमि) |
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सैकल :
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पुं० [अ०] धातु के बरतन। हथियार आदि साफ करके और उन्हे चमकाने का काम। |
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सैकलगर :
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पुं० [अ० सैकल+फा० गर] बरतनों, हथियारों आदि पर सैकल करनेवाला कारीगर। सिकलीगर। |
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सैका :
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पुं० [सं० सेक (पात्र)] [स्त्री० अल्पा० सैकी] १. घड़े की तरह का मिट्टी का एक बरतन जिससे कोल्हू से गन्ने का रस निकाल कर पकाने के लिए कड़ाहे में डालते हैं। २. मिट्टी का वह छोटा बरतन जिससे रेशम रँगने का रंग ढाला जाता है। ३. रबी की कटी हुई फसल का ढेर या राशि। पुं० [सं० शत०, हिं० सै] घास, डंठलों आदि के सौ पुलों का समूह। |
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सैक्य :
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वि० [सं०] १. ऐक्य अर्थात् एकता से युक्त। २. सिंचाई से संबंध रखनेवाला। पुं० एक प्रकार का बढ़िया पीतल। |
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सैक्षव :
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वि० [सं०] ईख के रस आदि से युक्त, अर्थात मीठा। |
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सैक्सन :
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पुं० [अ०] योरप की एक प्राचीन जाति जो पहले जर्मनी के उत्तरी भाग में रहती थी; पर पाँचवीं और छठी शताब्दी में जो इंगलैंड पर धावा करके वहाँ जा बसी थी। |
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सैंगर :
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पुं०=सेंगर। |
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सैचान :
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पुं०=सचान। (बाज)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैजन :
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पुं०=सहिजन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैढ़ :
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पुं० [देश०] गेहूँ की कटी हुई फसल, जो दाँई गई हो, पर औसाई न गई हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैण :
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पुं० [सं० स्वजन] मित्र। (डिं०] पुं० =सैन (संकेत)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० =सेना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैंणर :
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पुं० [सं० स्वामी+नर=साई—नर] पति। (डिं०] |
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सैंतना :
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सं० [सं० संचय] १. संचित करना। इकट्ठा करना। उदा०–कंचन मनि तजि काँचहि सैंतत या माया के लीन्हें।–सूर। २. हाथों से समेटना। ३. सँभाल और सहेज कर लेना। ४. सँभाल कर ठीक जगह पर रखना। उदा०–(क) सैंतति महरि खिलौना हरि के।–सूर। (ख) मानों संध्या के प्रकाश को जंगल और पहाड़ सैंत रखने की होड़ सी लगा रहें हों।–वृंदावनलाल वर्मा। ५ रोसई—घर में चौका लगाना और बरतन साफ करके ठीक जगह पर रखना। ६. आघात करना। ७. मार डालना। (बाजारू) |
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सैतव :
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वि० [सं० सेतु संबंधी। सेतु का। |
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सैंतालीस :
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वि० [सं० सप्तचत्वारिंशत, पा० सत्तचत्तालीसति, प्रा० सत्तालीस] जो गिनती में चालीस से सात अधिक हो। इसमें चालीस और सात। पुं० उक्त की संख्या जो, अंको में इस प्रकार लिखी जाती है–४७। |
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सैतालीसवाँ :
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वि० [हिं० सैंतालीस+वाँ (प्रत्य०)] जो क्रम या गिनती मे सैंतालीस के स्थान पर आता या पड़ता हो। |
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सैंतीस :
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वि० [सं० सप्तत्रिंशत्, पा० सत्ततिंसति, प्रा० सत्तिंसइ] जो गिनती में तीस से सात अधिक हो। तीस और सात। पुं० उक्त की सूचक संख्या जो, अंको में इस प्रकार लिखी जाती हो–३७। |
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सैंतीसवाँ :
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वि० [हि० सैंतीस+वाँ(प्रत्य०)] जो क्रम या गिनती में सैंतीस के स्थान पर आता या पड़ता हो। |
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सैंथी :
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स्त्री० [सं० शक्ति] छोटा भाला। बरछी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैथी :
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स्त्री० [सं०]=सैंथी (बरछी)। |
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सैद :
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पुं० [अ०] १. वह जानवर जिसका शिकार किया जाता हो या जो जाल में फसाया जाता हो। २. किसी के जाल या फँदे में फसे हुए होने की अवस्था या भाव। पुं०=सैयद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैदपुरी :
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स्त्री० [सैदलपुर स्थान] एक फ्रकार की नाव, जिसके आगे और पीछे दोनों ओर के सिक्के लंबे होते हैं। |
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सैंदूर :
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वि० [सं०] १. सिंदूर से रंगा हुआ। २. सिंदूर के रंग का। |
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सैद्धांतिक :
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वि० [सं०] १. सिद्धांत के रूप में होनेवाला। २. सिद्धांत संबंधी। पुं० १. सिद्धांतो के अनुसार चलने वाला व्यक्ति। सिद्धांतो का पालन करनेवाला। २. तांत्रिक। |
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सैंधव :
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वि० [सं०] १. सिंधु देश संबंधी। सिंध का। २. सिंध देश में होने या पाया जाने वाला। ३. सिंधु अर्थात समुद्र संबंधी। समुद्र का। ४. समुद्र मे उत्पन्न होने या पाया जाने वाला। पुं० १. सिंध देश का निवासी। २. सिंध देश का घोड़ा। ३. सेंधा नमक। ४. राजा जयद्रथ का एक नाम। |
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सैंधवक :
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वि० [सं०] सैंधव संबंधी। |
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सैंधवपति :
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पुं० [सं० सैंधव+पति] जयद्रथ का एक नाम । |
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सैंधवायन :
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पुं० [सं०] १. एक प्राचीन ऋषी। २. उक्त ऋषी के वंशज। |
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सैंधवी :
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स्त्री० [सं०] संपूर्ण जाति की एक रागिना, जो भैरव राग की पुत्र—वधु मानी गई है। |
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सैंधी :
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स्त्री० [सं०] १. खजूर या ताड़ का रस। २. उक्त को सड़ा कर बनाई जानेवाली शराब। |
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सैंधू :
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स्त्री०=सैंधवी। |
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सैंध्रक :
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वि० [सं०] सिध्रक (वृक्ष) की लकड़ी का बना हुआ। |
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सैन :
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स्त्री० [सं० संज्ञपन] १. संकेत विशेषतः शरीर के किसी अंग से किया जाने वाला संकेत। २. चिन्ह। निशान। ३. लक्षण। पुं० [सं० श्येन] १. बाज पक्षी। २. एक प्रकार बगला। पुं०=शयन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० =सेना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैन-भोग :
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पुं० =शयन भोग (देवताओं का)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैनक :
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पुं० [फा० सनी, सहनक] रिकाबी। तश्तरी। पुं० =सैनिक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० =सहनक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैनप :
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पुं० =सेनापति। |
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सैनपति :
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पुं० =सेनापति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैनयीकरण :
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पुं० [सं० सैनिक+करण] लोगो को सैनिक बनाने तथा सैनिक सामग्री से सज्जित करने का काम। (मिलिटराइजे़शन) |
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सैना :
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स्त्री०=सेना। स०=सेना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैनानीक :
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वि० [सं०] सेना के अग्र भाग का। |
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सैनान्य :
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पुं० [सं०] सेनानी या सेना पति का कार्य या पद। सैनापत्य। सेनापतित्व। |
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सैनापति :
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पुं०=सेना पति। |
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सैनापत्य :
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पुं० [सं०] सेनापति का कार्य या पद। सैनापत्य। वि० सेनापति संबंधी। |
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सैनिक :
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वि० [सं०] १. सेना संबंधी। सेना का। (मिलिटरी) जैसे–सैनिक न्यायालय, सैनिक आयोजन। २. जो सेना के लिए उपयुक्त हो, उसके ढंग पर चलता हो या उसके प्रति अनुरक्त हो। (मार्शल) पुं० १. सेना या फौज में रहकर युद्ध करने वाला सिपाही। फौजी आदमी। २. वह जो किसी प्राणी का वध करने के लिए नियुक्त किया गया हो। ३. पहरेदार। संतरी। |
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सैनिक-न्यायालय :
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पुं० सैनिक विभाग का वह विशिष्ट न्यायालय, जो साधारणतः सेना विभाग में होने वाले अपराधों का विचार और न्याय करता है। (कोर्ट मार्शल) |
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सैनिक-सहचारी :
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पुं० राजदूत के साथ रहने वालावह अधिकारी जो सामरिक दृष्टि से उसका सलाहकार और सहायक हो। (मिलिटरी एटेची) |
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सैनिकता :
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स्त्री० [सं०] १. सैनिक या योद्धा होने की अवस्था या भाव। २. सैनिक सामग्री से युक्त और युद्ध करने की शक्ति का भाव या दशा। ३. यह विश्वास या सिद्धांत कि सैनिक बल को सहायता से सब काम निकाले जा सकते हैं। (मिलिटरिज्म) ४. युद्ध। लड़ाई। |
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सैनिका :
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स्त्री० [सं० श्येनिका] एक प्रकार का छंद। |
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सैनिकीकरण :
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पुं० दे० ‘सैन्यीकरण’। |
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सैनिटोरियम :
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पुं० दे० ‘आरोग्य निवास’। |
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सैनी :
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पुं० [सेनाभगत नाई] नाई। हज्जाम। स्त्री०=सेना (फौज)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैनेय :
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वि०=सैन्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैनेश, सैनेस :
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पुं० [सं० सैन्य+ईश=सैन्येश] सेनापति। |
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सैन्य :
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वि० [सं०] सेना का। पुं० १. सैनिक। २. सेना। ३. पहरेदार। संतरी। ४. छावनी। शिविर। |
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सैन्य-क्षोभ :
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पुं० [सं० ष० त०] १. सैनिको में होने या फैलने वाला क्षोभ। २. सैनिक विद्रोह। गदर। |
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सैन्य-नायक :
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पुं० [सं० ष० त०] सेनापति। |
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समानार्थी शब्द-
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सैन्य-पति :
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पुं० [स० ष० त०] सेनापति। |
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समानार्थी शब्द-
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सैन्य-पाल :
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पुं० [सं०] सेनापति। |
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समानार्थी शब्द-
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सैन्य-वास :
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पुं० [सं०] सेना का पड़ाव। छावनी। शिविर। |
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सैन्य-वियोजन :
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पुं० दे० ‘विसैन्यीकरण’। |
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समानार्थी शब्द-
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सैन्य-सज्जा :
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स्त्री० [स० ष० त०] युद्ध के लिए होनेवाली सैनिक तैयारी। लाम-बंदी। युद्ध के लिए हथियारों से लैस होना। |
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सैन्यवाद :
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पुं० [सं०] यह वादा या सिद्धांत कि राज्य के नागर तथा राजनीतिक आदर्श सैनिक आदर्शों के अनुसार स्थिर होने चाहिए और राज्य को सदा सैनिक दृष्टि से पूर्ण सबल तथा समर्थ रहना चाहिए। (मिलिटरिज़्म) |
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समानार्थी शब्द-
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सैन्यवादी :
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वि० [सं०] सैन्यवाद संबंधी। जैसै–सैन्यवादी नीति। पुं० वह जो सैन्यवाद का अनुयायी या समर्थक हो। (मिलिटरिज्म) |
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समानार्थी शब्द-
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सैन्याधिपति :
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पुं० [सं०] सेनापति। |
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समानार्थी शब्द-
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सैन्याध्यक्ष :
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पुं० [सं०] सेनापति। |
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समानार्थी शब्द-
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सैफ :
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स्त्री० [अ० सैफ़] तलवार। |
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समानार्थी शब्द-
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सैफग :
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पुं० [सं० शतफल ?] लाल देवदार |
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समानार्थी शब्द-
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सैफा :
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पुं० [अ० सैफ़] जिल्दसाजों का एक औजार, जिससे किताबों का हाशिया काटतें हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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सैफी :
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वि० [अ० सैफ=तलवार] १. तलवार की तरह टेढ़ा। वक्र। आड़ा। तिरक्षा। |
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समानार्थी शब्द-
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सैंबल :
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पुं०=सेमल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सैम :
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पुं० [देश०] धीवरों के एक देवता या भूत। |
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समानार्थी शब्द-
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सैमंतिक :
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पुं० [सं०] सीमंत अर्थात माँग संबंधी। पुं० सिंदूर। |
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सैयद :
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पुं० [अ०] [स्त्री० सैयदा, सैयदानी, सैदानी] १. मुहम्मद साहब के नाती हुसैन के वंश का आदमी। २. मुसलमानों के चार वर्गों या जातियों में से जूसरी जाति। |
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समानार्थी शब्द-
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सैंयाँ :
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पुं०=सैयाँ(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैयाँ :
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पुं० [सं० स्वामी, हिं० साई] १. स्त्री का पति। स्वामी। २. प्रियतम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैया :
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स्त्री०=शय्या।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैयाद :
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पुं० [अ०] १. वह जो पशु—पक्षियों को जाल में फँसाता हो। चिड़ीमार। बहेलिया। २. व्याघ्र। शिकारी। ३. मछुआ। |
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समानार्थी शब्द-
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सैयार :
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वि० [अ०] [भाव० सैयारी] सैर या भ्रमण करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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सैयारा :
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पुं० [अ० सैयारः] आकाश में परिक्रमा करने वाला तारा। नक्षत्र या ग्रह। |
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समानार्थी शब्द-
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सैयाह :
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पुं० [अ०] [भाव० सैयाही] सियाहत अर्थात पर्यटन करनेवाला पर्यटक। |
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समानार्थी शब्द-
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सैर :
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स्त्री० [फा०] १. मन बहलाने के लिए साफ जगह में घूमना—फिरना। मनोरंजन या वायु-सेवन के लिए भ्रमण। परिमार्गन। (एक्सकर्सन) २. मित्र मंडली का शहर या बस्ती के बाहर केवल मौज लेने के लिए होने वाला खान—पान आदि। गोष्ठी। ३. बहार। मौज। आनंद। ४. कौतुकपूर्ण और मनोरंजक दृश्य। ५. असाढ़—सावन में गाये जाने वाले अक प्रकार के लोक-गीत। (बुंदेल०) ६. रासलीला की तरह का एक प्राकर का अभिनय। (बुंदेल०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैर-गाह :
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पुं० [फा०] सैर करने की अच्छी और खुली जगह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैर-सपाटा :
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पुं० [फा० सैर+हिं० सपाटा] सैर करने के लिए इधर—उधर घूमना—फिरना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरंद्रिका :
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स्त्री० [सं०] परिचारिका। दासी। |
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समानार्थी शब्द-
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सैरंध्र :
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पुं० [सं०] [स्त्री० सैरंध्री] १. घर ग्रहस्ती में काम करनेवाला नौकर। २. एक संकर जाति जो स्मृतियों में दस्यु (पुरुष) और अयोगवी (स्त्री) से उत्पन्न कही गई है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरंध्री :
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स्त्री० [सं०] १. सैरध्र जाति की स्त्री। २. अंतःपुर की दासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरा :
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पुं० [फा० सैर] १. हाथ से अंकित चित्रो में भूमिका के रूप में वह प्राकृतिक दृष्य, जिसके आगे व्यक्तियों या घटनाओं आदि चित्र अंकित होता है। २. आसाढ़ में गाया जाने वाला एक प्रकार का लोक गीत। (बुंदेल०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरि :
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पुं० [सं०] १. कार्तिक महीना। २. पुराणानुसार एक प्राचीन जनपद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरिक :
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पुं० [सं०] १. हलवाहा। हलधर। किसान। कृषक। २. हल में जोता जानेवाला बैल। ३. आकाश। वि० सीर अर्थात हल से संबंध रखनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरिंध्र :
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पुं० [सं०] १. पुराणानुसार एक प्राचीन जनपद। २. दे० ‘सैरंध्र’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरिंध्री :
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स्त्री० =सैरंध्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरिभ :
|
पुं० [सं०] १. आकाश। २. इंद्र की पुरी या लोक। ३. भैंसा नामक पशु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरिभी :
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स्त्री० [सं०] भैंस। महिषी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैरीय :
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पुं० [सं०] कटसरैया। झिंटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैल :
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स्त्री० [फा० सैर] १. मनोविनोद के लिए किया जाने वाला पर्यटन। सैर। स्त्री० [अ०] १. पानी का बहाव। २. बाढ़। सैलाब। पुं० १. शैल। २. सैला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैल-सुता :
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स्त्री०=शैलसुता (पार्वती)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलकुमारी :
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स्त्री०=शैलकुमारी (पार्वती)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलजा :
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स्त्री०=शैलजा (पार्वती)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलवेशन आर्मी :
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स्त्री० [अ०]=मुक्ति सेना। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैला :
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पुं० [सं० शल्य] [स्त्री० अल्पा० सैली] १. लकड़ी की वह गुल्ली या पच्चड़ जो किसी छेद या संधि में ठोका जाय। किसी छेद मे डालने या फँसाने का टुकड़ा। मेख। २. लकड़ी की बड़ी मेख। खूँटा। ३. नाव की पतवार की मुठिया। ४. लकड़ी की वह खूँटी जो बैलगाड़ी में कंधावार के पास दोनो ओर लगी होती हैं और जिसके कारण बैल अपनी गरदन इधर—उधर नहीं कर सकता। ५. यह मुँगरी जिससे कटी हुई फसल के डंठल दाना झाड़ने के लिए पीटते हैं। ६. जलाने की लकड़ी का छोटा टुकड़ा। चैला। पुं० [फा० सैर] मध्य प्रदेश के गोड़ों और भीलों का एक प्रकार का नृत्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलात्मजा :
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स्त्री० [सं० शैलात्मजा] पार्वती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलानी :
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वि० [हिं० सैल (=सैर)+आनी (प्रत्य०)] १. जो बहुत अधिक सैर करता हो। २. इधर-उधर घूमता फिरता रहनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलाब :
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पुं० [फा०] नदियों आदि की बाढ़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलाबा :
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पुं० [फा० सैलाब] वह फसल जो पानी में डूब गई हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलाबी :
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[फा०] १. सैलाब संबंधी। सैलाब या बाढ़ का। जैसे–सैलाबी पानी। २. (जमीन जिसकी सिंचाई सैलाब या बाढ़ के पानी से होती हो। स्त्री० =सीड़ (सील)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैली :
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स्त्री० [हिं० सैला] १. ढाक की जड़ की रेशो की बनी रस्सी। २. एक प्रकार का टोकरी। वि०=सैलानी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलूख :
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पुं० [स्त्री० सैलूखी]=शैलूश (अभिनेता)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैलून :
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पुं० =सेलून। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैव :
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वि० , पुं० =शैव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैंवर :
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पुं०=साँभर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैवल :
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पुं०=शैवल (पौधा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैवलिनी :
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स्त्री० =शैवलिनी (नदी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सैवाल :
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स्त्री० [सं० शैवाल] १. सेवार। जाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सैविक :
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वि० [सं०] सेवा—संबंधी। सेवा का। |
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समानार्थी शब्द-
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सैव्य :
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पुं० =शैव्य (घोड़ा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैसक :
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वि० [सं०] १. सीसे से संबंध रखनेवाला। २. सीसे का बना हुआ। |
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सैसब :
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पुं० [भाव० सैसवता]=शैशव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैंह :
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वि० [सं०] १. सिंह संबंधी। सिंह का। २. सिंह की तरह। क्रि० वि०=सौंह (सामने)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सैंहथी :
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स्त्री०=सैंथी (बरछी)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैहथी :
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स्त्री० [सं० शक्ति]=सैंथी (बरछी)। |
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समानार्थी शब्द-
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सैंहल :
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वि० [सं०] [सं० सैंहली] सिंहली। (दे० ) |
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सैंहली :
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स्त्री० [सं०] सिंहली पीपल। |
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सैहा :
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पुं० [सं० सेक=सिंचाई+हिं० हा (प्रत्य०)] [स्त्री० अल्पा० सैही] पानी, रस आदि डालने का मिट्टी का बरतन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सैंहिक :
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पुं० [सं०] सिंहिका से उत्पन्न, राहू। वि० =सैंह। |
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सैंहिकेय :
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पुं० [सं०] (सिंहिका के पुत्र) राहु। |
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सैहुँड़ :
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पुं०=सेहुँण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सैंहूँ :
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पुं० [हिं० गेहूँ का अनु०] गेहूँ के वे दाने जो छोटे, काले और बेकार होते हैं। |
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