स्वार्थ-त्याग/svaarth-tyaag

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स्वार्थ-त्याग  : पुं० [सं०] (दूसरे के हित के लिए कर्तव्य बुद्धि से) अपने स्वार्थ या हित को निछावर करना। किसी भले काम के लिए अपने हित या लाभ का विचार छोड़ना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
स्वार्थ-त्यागी (गिन्)  : वि० [सं० स्वार्थत्यागिन्] जो (दूसरों के हित के लिए कर्तव्य-बुद्धि से) अपने स्वार्थ या हित को निछावर कर दे। दूसरे के भले के लिए अपने हित या लाभ का विचार न रखेनावाला। स्वार्थ त्याग करनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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